इंतजार में बीते 9 माह - स्वदेशी वैक्सीन 500 की उपलब्ध नहीं, 7 हजार तक देने पड़ते हैं ‘विदेशी’ के लिए

इंतजार में बीते 9 माह - स्वदेशी वैक्सीन 500 की उपलब्ध नहीं, 7 हजार तक देने पड़ते हैं ‘विदेशी’ के लिए
  • आर्थिक तंगी के चलते अधूरा रह जाता है उपचार
  • स्वदेशी वैक्सीन उपलब्ध नहीं
  • विदेशी’ के लिए रकम ज्यादा लगती

डिजिटल डेस्क, नागपुर. सर्वाइकल कैंसर के नियंत्रण के लिए 0भारत का पहला स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन लांच किया गया। इसे करीब नौ महीने का समय बीत चुका है। उस समय सरकार की तरफ से संकेत दिया गया था कि इसे टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा, ताकि मरीजों को इसका लाभ अधिकाधिक मिल सके। लेकिन अब तक मेडिकल में यह वैक्सीन नहीं पहुंच पाई है, और न ही टीकाकरण अभियान शुरू हो पाया है। यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर पीड़ितों के लिए जीवनदायी बतायी गई है। फिलहाल मरीजों को अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन खरीदने के लिए 5 से 7 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि स्वदेशी वैक्सीन की कीमत 500 रुपए से भी कम होने का दावा किया गया था। इसलिए यहां पीड़ित आकर पूछते हैं कि स्वदेशी वैक्सीन कब मिलेगी, लेकिन उन्हें जवाब में निराशा ही मिल रही है।

आर्थिक तंगी के चलते अधूरा रह जाता है उपचार

सर्वाइकल कैंसर मरीजों को जीवनदायी वैक्सीन के रुप में समय-समय पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (एचपीवी) लेनी पड़ती है। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इसका निर्माण होने से बाजार में अलग-अलग कंपनियों के वैक्सीन की कीमत 4000 से 7000 रुपए तक होती है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए यह वैक्सीन खरीद पाना संभव नहीं होता। कई मरीज महंगी वैक्सीन के चलते अपना इलाज करवाना छोड़ देते हैं। (मेडिकल) में विविध प्रकार के कैंसर के सालाना 2300 नए मरीज पंजीकृत होते हैं। इनमें 15 फीसदी यानि 345 मरीज सर्वाइकल कैंसर के होते हैं। यहां आनेवाले मरीज अार्थिक रूप से कमजोर वर्ग से होते हैं। उन्हें एचपीवी वैक्सीन की आवश्यकता होती है। बीते गुरुवार को सर्वाइकल कैंसर की स्वदेशी वैक्सीन लांच की गई है।

मेडिकल में नहीं कोई सूचना

पिछले साल सितंबर महीने में भारत का पहला स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन लांच किया गया। डीसीजीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को इस वैक्सीन निर्माण व बिक्री की अनुमति दी है। यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर रोकने में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी बतायी गई थी। सरकार ने इसे टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने का संकेत दिया था। मेडिकल सूत्रों ने बताया कि अब तक विभाग के पास इस वैक्सीन को लेकर कोई सूचना नहीं मिली है और न ही वैक्सीन मिली है।

Created On :   11 Jun 2023 1:36 PM GMT

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