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कपड़ा उद्योग के लिए कपास के भाव गिराए
- पूर्व मंत्री देशमुख का केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
- लॉबी के दबाव में आयात शुल्क माफ कर कपास आयात किया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने केंद्र व राज्य सरकार पर कपड़ा उद्योग लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए कपास के भाव गिराने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अच्छे भाव मिलने के कारण इस साल राज्य में किसानों ने बड़े पैमाने पर कपास की बुआई की, लेकिन अतिवृष्टि के कारण उत्पादन कम हुआ। देश के कपड़ा उद्योग को फायदा दिलाने के लिए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर विदेश से कपास आयात किया है। इससे देश में कपास के भाव घट गए हैं।
पत्र-परिषद में अनिल देशमुख ने कहा कि राज्य में 2021-22 में लगभग 39.36 लाख हेक्टेयर में कपास का उत्पादन हुआ था। खुले बाजार में इसी साल कपास को 12,500 रुपए भाव मिला था। अच्छा भाव मिलने के कारण 2022-23 में राज्य में 7 प्रतिशत कपास का क्षेत्र बढ़कर वह 42.11 लाख हेक्टेयर तक उत्पादन हुआ था। इस साल भी पिछले साल जैसा भाव मिलने की अपेक्षा किसानों को थी, किंतु बड़े पैमाने पर कपास का आयात होने से देश में कपास के भाव कम हुए हैं।
इस साल कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के माध्यम से केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर कपास व धागे की कमी होने का हवाला देकर सितंबर व अक्टूबर 2022 में कपास के आयात पर लगाया गया 11 प्रतिशत शुल्क माफ किया गया। इसके कारण कपड़ा उद्योग ने 12 लाख की गाठी आयात की। हाल ही में फिर से 4 लाख गाठियां विदेश से आयात की गई। पिछले साल 43 लाख गाठी निर्यात हुई थी, किंतु इस साल सिर्फ 30 लाख गाठी निर्यात हो सकी। लगभग 13 लाख गाठी का निर्यात कम हुआ, जिसके कारण देश में कपास के भाव गिरे हैं। देशमुख ने राज्य सरकार से इस मामले में पत्र-व्यवहार करने की मांग करते हुए सरकार से कपास उत्पादकों को मदद करने पर विचार करने को कहा है।
Created On :   31 May 2023 12:27 PM IST