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अदालत का फैसला : शिक्षाधिकारी के खिलाफ रिश्वत का मामला खारिज
- ठोस कारण स्पष्ट नहीं किए गए
- शिक्षाधिकारी के खिलाफ रिश्वत का मामला खारिज
- मुकदमा चलाने की अनुमति दी, तो कारण भी बताएं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए आरोपी के ही विभाग के उच्च अधिकारी द्वारा मंजूरी जरूरी होती है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने ऐसे ही एक मामले में साफ किया है कि अगर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग अनुमति देने से इनकार कर दे, तो वह दोबारा अनुमति तब ही दे सकते है, जब उनके समक्ष मामले के नए सबूत और तथ्य मौजूद हों। अनुमति जारी करते वक्त अनुमति देने के कारण भी स्पष्ट होने चाहिए। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने अकोला के तत्कालीन जिला व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण अधिकारी याचिकाकर्ता कमलाकर विसले के खिलाफ वर्ष 2007 में दर्ज रिश्वत के मामले को खारिज किया है।
2 हजार रुपए की रिश्वत लेते एसीबी ने रंगे हाथ पकड़ा था
याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्ष 2007 में वे अकोला के जिला व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण अधिकारी थे। एसीबी को मिली शिकायत के अनुसार याचिकाकर्ता के पास मालेगांव स्थित मुंदडा जूनियर कॉलेज में कंप्यूटर साइंस शाखा शुरू करने का प्रस्ताव आया था, जिसे मंत्रालय में भेजने के लिए याचिकाकर्ता ने 5 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। कॉलेज प्रतिनिधि ने इसकी एसीबी से शिकायत कर दी थी। एसीबी ने 13 मार्च 2007 को जाल बिछा कर याचिकाकर्ता को उनके ही कार्यालय में 2 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था। एसीबी ने मामले की जांच कर निचली विशेष अदालत में चार्जशीट भी पेश की थी। इस मामले से स्वयं को बरी करने के लिए याचिकाकर्ता ने पहले निचली अदालत में अर्जी दायर की थी। वहां से राहत न मिलने पर उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली थी।उन्होंने दलील दी कि कुल 3 बार मुकदमा चलाने की अनुमति से इनकार करने के बाद आखिरकार संबंधित विभाग ने यह अनुमति जारी की, लेकिन अनुमति देने के ठोस कारण स्पष्ट नहीं किए। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
Created On :   7 Aug 2023 7:05 PM IST