हाईकोर्ट: पिता को अपहरणकर्ता नहीं माना जा सकता, एफआईआर रद्द करने का दिया आदेश

पिता को अपहरणकर्ता नहीं माना जा सकता, एफआईआर रद्द करने का दिया आदेश
  • अदालत ने किया स्पष्ट
  • पिता को अपहरणकर्ता नहीं माना जा सकता
  • एफआईआर रद्द करो

डिजिटल डेस्क, नागपुर. कानून ने किसी भी तरह की अगर राेक नहीं लगाई है, तो ऐसे में जन्मदाता पिता अपने बच्चे का कब्जा (ताबा) लेता है तो उसे अपहरणकर्ता नहीं माना जा सकता, यह महत्वपूर्ण निरीक्षण देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने पिता के विरोध में दाखिल एफआईआर रद्द करने का अादेश दिया है। न्या. विनय जोशी और न्या. वाल्मिकी मेनेझेस ने यह फैसला सुनाया।

यह है पूरा मामला : याचिका के अनुसार, अमरावती में 29 मार्च 2023 को यह घटना हुई। याचिकाकर्ता पति का पत्नी से विवाद चल रहा था। इस कारण यह दम्पति अलग हो गए। इस बीच पिता ने बच्चे को अपने पास रख लिया। दूसरी ओर बच्चे की मां की शिकायत के आधार पर अमरावती पुलिस ने पिता के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया। इसे रद्द करने के लिए पिता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में हुई सुनवाई में बचाव पक्ष ने हिंदू अल्पसंख्यक कानून का अाधार लिया। अधिनियम में नाबालिग बच्चे के प्राकृतिक संरक्षक की परिभाषा का संदर्भ दिया गया था। साथ ही बचाव पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि पिता एक हिंदू नाबालिग बच्चे का पहला प्राकृतिक पालक होता है। इस नियम के अनुसार पिता के बाद माता का स्थान आता है। कोर्ट ने सभी का पक्ष सुनते हुए पिता के खिलाफ दाखिल एफआईआर रद्द करने के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. पवन डहाट ने पैरवी की।

अदालत ने किया स्पष्ट

इस मामले में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, पिता इस नाबालिग बच्चे के प्राकृतिक पालक है। बच्चे का कब्जा सिर्फ मां के तरफ ही रहेगा, ऐसा कोई अदालती आदेश नहीं था। ऐसे मामले में बच्चे का कब्जा मां से पिता के तरफ जाने का मतलब एक पालक से दूसरे पालक को कब्जा देने जैसा है। इसलिए, यदि पिता बच्चे का कब्जा लेता है, तो उसे अपहरणकर्ता नहीं माना जा सकता।


Created On :   3 Nov 2023 6:08 PM IST

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