महापुरुषों की मानहानि के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में गांधीवादी कार्यकर्ता ने दायर की जनहित याचिका

महापुरुषों की मानहानि के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में गांधीवादी कार्यकर्ता ने दायर की जनहित याचिका
  • संभाजी भिड़े की महात्मा गांधी पर टिप्पणी का मामला
  • बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा गांधीवादी कार्यकर्ता
  • दिशा निर्देश जारी करने की मांग
  • अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश
  • अदालत ने याचिकाकर्ता से संभाजी भिड़े का नाम याचिका में से हटाने की दी सलाह

डिजिटल डेस्क, मुंबई। संभाजी भिड़े की महात्मा गांधी पर टिप्पणी समेत महापुरुषों के मानहानि के खिलाफ पुणे के गांधीवादी कार्यकर्ता डॉ.कुमार सप्तर्नेषि बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है। याचिका में जल्द से जल्द सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संभाजी भिड़े की टिप्पणी पर रोक लगाने और महापुरुषों के मानहानि के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। अदालत ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सोमवार को महाराष्ट्र गांधी स्मारक के डॉ. सप्तर्षि, संदीप बर्वे और अनवर राजन की ओर से वकील किरण कदम की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल व्यास और राज्य के महाधिवक्ता डॉ.वीरेंद्र सराफ मौजूद थे। डॉ. सराफ ने अपनी दलील में कहा कि महापुरुषों का मानहानि करने के खिलाफ कई कानून है, जिसके तहत कार्रवाई की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने जनहित याचिका से संभाजी भिड़े का नाम हटाने की याचिकाकर्ता को सलाह दी है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि आम तौर पर जब जीवित व्यक्तियों के बारे में अपमानजनक बयान दिए जाते हैं, तो वे अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। वे अपनी मानहानि की शिकायत कर सकते हैं। महात्मा गांधी, छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, महात्मा फुले और जवाहरलाल नेहरू जैसी महान हस्तियों पर मानहानिकारक टिप्पणी की जाती है, तो ऐसे बयानों से समाज और देश के सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा है. इसलिए इस जनहित याचिका के जरिए मीडिया के माध्यम से ऐसे अपमानजनक बयानों के प्रसार होने पर नियंत्रित करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि महापुरुषों के खिलाफ टिप्पणी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के मानहानि से संबंधित हैं। जब इसको लेकर ऐतिहासिक आंकड़ों की बात आती है, तो उनका दायरा सीमित है।

Created On :   7 Aug 2023 9:57 PM IST

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