रेलवे की नौकरी में लिंग भेद, कैट ने माना ज्यादती

रेलवे की नौकरी में लिंग भेद, कैट ने माना ज्यादती
  • हाई कोर्ट तक जा पहुंचा मामला
  • महिला कर्मचारी को मिली राहत
  • अब नौकरी नहीं करना चाहती महिला

डिजिटल डेस्क, नागपुर. महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार ने सभी निजी कार्यालयों को महिला सम्मान और समान अधिकार की नीति का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है, लेकिन क्या हो जब भारत सरकार का ही एक अहम विभाग अपने ही कार्यालय में "लिंग भेद' का दोषी पाया जाए। हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में ऐसा ही एक मामला पहुंचा है, जिसमें हाई कोर्ट ने महिला कर्मचारी के पक्ष में फैसला देते हुए रेलवे की अपील का निपटारा कर दिया है।

यह है मामला : संबंधित महिला कर्मचारी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में 17 अक्टूबर 1989 को कनिष्ठ स्टेनोग्राफर पद पर नियुक्त हुई। वर्ष 2006 तक वह पदोन्नति पा कर कांफिडेंशन असिस्टेंट भी बन गई। इसके कुछ वर्षों बाद उसके करियर में एक नया मोड़ आया। अप्रैल से सितंबर 2011 के बीच महिला कुल 15 बार बिना बताए नौकरी पर अनुपस्थित रही। इस आरोप के चलते रेलवे ने महिला के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई। उसके बाद उसे बगैर किसी सेवानिवृत्ति लाभ के सख्ती की सेवानिवृत्ति की सजा दे दी गई। महिला ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी, तो कैट ने अपने फैसले में चौंकाने वाले तथ्य पाए। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कैट ने माना कि महिला कर्मचारी को नौकरी से निकालने की सजा ज्यादती जैसा था, इसलिए उसे नौकरी पर वापस लेकर उसका बकाया वेतन भी जारी करने का आदेश दिया। जिसे रेलवे ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को योग्य मान कर रेलवे की अपील का निपटारा कर दिया।

Created On :   7 Aug 2023 8:20 PM IST

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