जनसंख्या के अनुसार दें जातियों को प्रतिनिधित्व

जनसंख्या के अनुसार दें जातियों को प्रतिनिधित्व
  • परिसीमन आयोग को नोटिस
  • अदालत का निर्देश
  • जनसंख्या के अनुसार दें जातियों को प्रतिनिधित्व

डिजिटल डेस्क, नागपुर. लोक सभा और विधान सभा मतदाता क्षेत्र में जाति निहाय लोकसंख्या अनुसार जनप्रतिनिधि होने चाहिए, इस मुद्दे के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। इसमें हाई कोर्ट ने परिसीमन आयोग को प्रतिवादी बना कर नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता प्रमोद तभाने ने यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, जनगणना में उल्लेखित अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय को विधान सभा चुनाव में उनकी लोकसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए भारतीय संविधान की धारा 334(3) में प्रावधान है। लेकिन वर्ष 1985 से 2014 के बीच के विधानसभा चुनाव 1981 से 2011 तक की जनगणना के अनुसार लिया गया। इन चुनावों में उक्त प्रवर्ग के उम्मीदवारों को बहुत कम प्रतिनिधित्व मिला, जबकि उनकी लोकसंख्या को देखते हुए यह प्रतिनिधित्व ज्यादा होना चाहिए था। संविधान की धारा 82 के अनुसार मूल जनगणना के बाद जब भी लोेक संख्या बढ़ जाती है, तो राज्य सरकार प्रतिनिधित्व में बदलाव कर सकती है, लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। परिणाम स्वरूप महाराष्ट्र के वर्ष 2014 और 2019 के विधान सभा और वर्ष 1991 से 2001 तक के लोकसभा चुनाव में उक्त प्रवर्गों को बहुत कम प्रतिनिधित्व मिला। वहीं लोकसभा 2014 और 2019 के चुनाव वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार होने चाहिए थे, जबकि वे वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार हुए। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.आनंद परचुरे और केंद्रीय निर्वाचन आयोग की आेर से एड.नीरजा चौबे ने पैरवी की।

Created On :   13 July 2023 6:12 PM IST

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