दो साल पहले जारी जीआर पर अमल नहीं, आदेश के बाद भी तैयार नहीं हुआ अनुकंपा नियुक्ति प्रस्ताव

दो साल पहले जारी जीआर पर अमल नहीं, आदेश के बाद भी तैयार नहीं हुआ अनुकंपा नियुक्ति प्रस्ताव
  • राज्यमंत्री आशीष जैस्वाल ने वनविभाग के अधिकारियों को चेताया
  • लालफीताशाही पर जमकर साधा निशाना

Nagpur News. वनविभाग से संबंधित मुद्दों को लेकर वित्त व नियोजन राज्यमंत्री आशीष जैस्वाल ने विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि विभाग में फैली लालफीताशाही के कारण फाइलें वर्षों तक अटकी रहती हैं, जिससे न केवल सरकारी निर्णयों में देरी होती है बल्कि मुख्यमंत्री के आदेशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

जैस्वाल ने कहा कि आदिवासियों को बोरवेल देने संबंधी शासनादेश (जीआर) दो साल पहले जारी किया गया था, लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हुआ। इसी प्रकार, वन्य प्राणियों के हमले में मारे गए नागरिकों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रस्ताव भी अब तक तैयार नहीं किया गया है, जबकि मुख्यमंत्री ने इस विषय पर स्पष्ट निर्देश दिए थे।

राज्यमंत्री रविवार को नागपुर वनविभाग के रामटेक उपविभाग के अंतर्गत पवनी में आयोजित वन्यजीव संरक्षण संबंधी चर्चासत्र के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, “वन्यजीव संरक्षण और वनक्षेत्र के नागरिकों की मदद केवल बैठकों या चर्चासत्रों से नहीं होगी। इसके लिए ठोस उपाययोजनाओं की जरूरत है। वनक्षेत्र में सागवान के पेड़ लगाना महापाप है — यह प्राकृतिक संतुलन के विपरीत है।”

जैस्वाल ने आगे बताया कि वनक्षेत्र से जुड़ी योजनाओं के संबंध में उन्होंने वनमंत्री, राज्य वन सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की है। मुख्यमंत्री वन व पर्यावरण संवर्धन 2025 के मसौदे पर उन्होंने 20 पृष्ठों का सुझाव नोट भी सरकार को सौंपा है। उन्होंने चेतावनी दी कि वन संरक्षण के दायित्वों का पालन नहीं करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि मई 2024 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में अनुकंपा नियुक्ति पर निर्णय लिया गया था। बाद में 17 अप्रैल 2025 को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संबंधित फाइल को मंत्रिमंडल के समक्ष लाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद विभागीय अधिकारी अब तक प्रस्ताव तैयार नहीं कर पाए हैं।

राज्यमंत्री ने कहा, “अन्य विभागों में हाल ही में 5,000 अनुकंपा नियुक्तियां दी गई हैं, लेकिन वन्य प्राणियों के हमलों में मृतकों के परिजनों के मामले में प्रस्ताव भी तैयार नहीं हुआ — यह गंभीर लापरवाही है।”

उन्होंने यह भी बताया कि 4 अक्टूबर 2023 को जारी शासनादेश में कहा गया था कि वनक्षेत्र में रहने वाले आदिवासी परिवारों को बोरवेल और सोलर पंप उपलब्ध कराए जाएंगे, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी राज्य के किसी एक आदिवासी को इसका लाभ नहीं मिला। अब सरकार उस जीआर में संशोधन करने पर विचार कर रही है।

राज्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले की जड़ में लालफीताशाही ही जिम्मेदार है और यदि यही रवैया जारी रहा, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Created On :   5 Oct 2025 7:12 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story