Nagpur News: गर्भवती महिलाएं परेशान - 30% में हाइपरटेंशन और 25% में डायबिटीज तथा 10% में थाइरॉइड

गर्भवती महिलाएं परेशान - 30% में हाइपरटेंशन और 25% में डायबिटीज तथा 10% में थाइरॉइड
  • हार्मोनल बदलाव के दौरान डायबिटीज का खतरा
  • आयोडीन की कमी से थाइरॉइड गर्भस्थ शिशु पर असर का अंदेशा
  • समय पर जांच व दवा जरूरी
  • मेडिकल में रेफर केस चिंताजनक

Nagpur News. शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के स्त्रीरोग एवं प्रसूति विभाग में हर रोज़ औसतन 300 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। इनमें से करीब 100 से अधिक रेफर केस होती हैं। गर्भवती महिलाओं के कुल मामले में 30 फीसदी में हाइपरटेंशन, 25 फीसदी में डायबिटीज और 10 फीसदी में थाइरॉइड आदि बीमारियां पायी जाती है। इन बीमारियों के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं। इसके पीछे अनेक कारण बताए गए हैं। समय पर उपचार नहीं होने पर यह बीमारियां गंभीर घातक साबित होती हैं। इसलिए इन बीमारियों के लक्षण दिखते ही समय पर जांच करवाना और नियमित डॉक्टरों के संपर्क रहना जरूरी है। इससे मां और गर्भस्थ शिशु दोनों सुरक्षित रह सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के सामने आ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक मेडिकल की ओपीडी में आने वाली महिलाओं में 30 फीसदी को यह समस्या होती है। इस बीमारी के कारण गर्भस्थ शिशु पर असर होता है। हाइपरटेंशन से गर्भ में पल रहे शिशु में कम वजन, असमय जन्म या प्लेसेंटा जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। कई बार स्टिल बर्थ (मृत शिशु जन्म) का खतरा भी बढ़ जाता है।

हार्मोनल बदलाव के दौरान डायबिटीज का खतरा

गर्भवती महिलाओं में दूसरी सर्वाधिक समस्या डायबिटीज (गर्भकालीन मधुमेह) पायी जा रही हैं। लगभग हर चौथी गर्भवती महिला इस बीमारी से जूझ रही है। इस बीमारी के कारण गर्भस्थ शिशु का वजन सामान्य से अधिक हो सकता है। इस स्थिति को मैक्रोसोमिया कहा जाता है। जन्म के बाद नवजात में लो ब्लड शुगर, सांस की समस्या और भविष्य में डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।

आयोडीन की कमी से थाइरॉइड गर्भस्थ शिशु पर असर का अंदेशा

मेडिकल में उपचार के लिए आनेवाली 10 फीसदी गर्भवती महिलाएं थाइरॉइड बीमारी से पीड़ित होती है। इस बीमारी के प्रमुख कारणों में आयोडीन की कमी, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, हार्मोनल असंतुलन होना बताया गया है। थाइरॉइड की समस्या से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के विकास पर असर पड़ सकता है। गंभीर स्थिति में गर्भपात, समयपूर्व प्रसव या बच्चे में विकास संबंधी कमियां भी पायी जाती हैं।

असमय गर्भावस्था में अधिक जटिलता

मेडिकल में उपचार के लिए आनेवाली पहुंचने वाली 300 महिलाओं में से आधी यानी लगभग 100 से अधिक महिलाएं रेफर केस होती हैं। इनमें से अधिकतर मरीज इन्हीं तीन बीमारियों हाइपरटेंशन, डायबिटीज और थाइरॉइड से पीड़ित रहती हैं।

दिक्कत यह.. स्वास्थ्य बिगड़ने पर दिखाते मेडिकल का रास्ता

रेफर मरीजों में जटिलता अधिक होती है। यह महिलाएं पहले से ही छोटे अस्पतालों में उपचार करवाती रहती है, लेकिन वहां सभी तरह के विशेषज्ञ डॉक्टर्स व सुविधाएं नहीं होती। इसलिए उनकी बीमारियों की जांच व समय पर पूरा उपचार नहीं होता। परिणामस्वरुप बीमारी का प्रतिशत बढ़ चुका होता है। जब स्वास्थ्य अधिक बिगड़ता है, तब उन्हें सीधे मेडिकल का रास्ता दिखाया जाता है। इन महिलाओं में अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र की होती हैं।

समय पर जांच व औषधोपचार जरूरी

डॉ. रितुजा फुके, गायनॉकॉलिस्ट, मेडिकल के मुताबिक गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर जांच व नियमित औषधोपचार करना जरूरी है। नियमित ब्लड प्रेशर जांच, शुगर टेस्ट और थाइरॉइड जांच से मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रह सकते हैं।


Created On :   5 Oct 2025 6:26 PM IST

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