गुड न्यूज: पेंच प्रकल्प में बाघों के साथ बढ़े मगरमच्छ , सॉफ्टशेल कछुए के अंडे भी मिले

पेंच प्रकल्प में बाघों के साथ बढ़े मगरमच्छ , सॉफ्टशेल कछुए के अंडे भी मिले
  • पहली गणना में 30 ही दिखे थे
  • दूसरी गणना में 52 का दीदार
  • 3 दिन चली गणना में 22 लोगों का सहयोग रहा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिले के पेंच व्याघ्र प्रकल्प में न केवल बाघों बल्कि मगरमच्छों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में हुई गणना के आंकड़ों के अनुसार, दूसरी बार हुई गणना प्रक्रिया में 52 मगरमच्छों का दीदार हुआ है। पहली गणना में 30 मगरमच्छ ही दिखे थे। 22 मगरमच्छ की संख्या बढ़ती दिख रही है। इसके अलावा सॉफ्टशेल कछुए के अंडे भी मिले हैं। पेंच के फील्ड डायरेक्टर डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला के मार्गदर्शन में वन विभाग व तिनसा इकोलॉजिकर फाउंडेशन की मदद से यह गणना प्रक्रिया 29 से 31 जनवरी तक चली। 3 दिन की इस प्रक्रिया में 22 लोगों का सहयोग रहा। मुख्य रूप से मानद वन्यजीव रक्षक अजिंक्य भटकर, पेंच एसीएफ पूजा लिंबगावकर व संदीप भारती आदि का विशेष सहयोग रहा।

अंदाजा सटीक निकला : पेंच व्याघ्र प्रकल्प कुल 7 सौ 49 वर्ग किमी में फैला जंगल है। सफारी के लिए 8 गेट बने हैं। 50 से ज्यादा बाघ यहां सैलानियों को आकर्षित करते हैं। परिसर में पेंच नदी भी है। इसे कहीं पर अपर नदी, लोअर नदी और जलाशय के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत बड़ी नदी है, ऐसे में यहां पहले से मगरमच्छ व पानी में रहने वाले जीवों का बसेरा होने का अंदाजा लगाया जा रहा था।

तरकीब काम आई : मगरमच्छों की सटीक संख्या वन विभाग को नहीं पता थी। ऐसे में वन विभाग द्वारा पहली बार यहां जून 2023 में मगरमच्छों की गणना की गई थी, जिसमें परिसर में 30 मगरमच्छों के होने की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उनकी जतन के लिए वन विभाग ने गत 6 माह में कई अभियान चलाए। इसमें मछुआरों को यहां जाल न फेंकने देने की तरकीब ज्यादा काम आई, क्योंकि मगरमच्छ के छोटे बच्चे इसमें फंसकर मरने से बचें। इसके अलावा अवैध शिकार रोकने के लिए गश्त बढ़ाने से लेकर जहां मगरमच्छों का अधिवास है, वहां मानवी गतिविधियां कम कर दी गईं। नतीजा सामने है, दूसरी गणना में कुल 22 मगरमच्छ ज्यादा पाए गए। इसमें ज्यादा मगरमच्छ गौडीघाट से किरगीसंगरा में पाए गए। यहां ओटर रहने के भी संकेत मिले हैं। वहीं 50 से ज्यादा सॉफ्टशेल कछुए के अंडे पाए गए हैं। यानी पेंच में बाघ, तेंदुओं के अलावा जल जीवों की भी भरमार है।

ऐसे हुई वास्तविक गणना : गणना के लिए पूरे क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया था-तोतलाडोह, कनेक्टिंग स्ट्रेच और निचला पेंच जलाशय। पेंच नदी पर ऊपरी और निचले जलाशय सहित 15 शिविरों में से 09 शिविरों को स्वतंत्र नमूने के लिए सर्वेक्षण के लिए चुना गया था। प्रत्येक शिविर को केंद्र के रूप में लिया गया था, और सर्वेक्षण के लिए अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम को कवर करने वाले 2 सैंपलिंग ट्रेल्स का चयन किया गया था। प्रत्येक शिविर के लिए प्रतिभागियों को 2 की टीम में बांटा गया था। प्रत्येक टीम ने कम से कम 2 सर्वेक्षण ट्रेल्स (नमूने) या अधिकतम 4 को कवर किया, जो कोलितमारा से संबंधित शिविरों तक यात्रा के समय (29वीं शाम, 30वीं सुबह और शाम, और 31वीं सुबह) पर निर्भर करता है। सर्वेक्षण के लिए विभाग और मछुआरों की नावों का उपयोग किया गया।

Created On :   7 Feb 2024 5:13 AM GMT

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