एक मददगार की कहानी: दूसरों का दर्द बांटकर उनके चेहरों पर मुस्कान लाना आसान नहीं है

दूसरों का दर्द बांटकर उनके चेहरों पर मुस्कान लाना आसान नहीं है
  • अपनी आय मरीजों, अनाथों के लिए खर्च करती हैं मानसी
  • दूसरों का दर्द बांटती

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है...’पुरानी हिंदी फिल्म अनाड़ी की यह पंक्तियां दिल को छू लेती हैं। किसी के दर्द को बांटकर उसके चेहरों पर मुस्कुराहट लाना आसान काम नहीं होता। ऊपर वाला यह नेमत हर-एक को नहीं देता। विरले लोग ही होते हैं, जो किसी के दर्द को देखकर विचलित होते हैं। उनका यह प्रयास होता है कि किसी तरह उसके चेहरे पर खुशियां आ जाएं, उसका जीवन खुशहाल हो जाए। चंद लोगों में ही दूसरों का दर्द लेकर मुस्कान बिखेरने की शक्ति होती है। ऐसी ही एक शक्ति स्वरूपा का नाम है मानसी भांदककर।

ससुरजी की इच्छा पूरी की

मानसी का जन्म बंगाल में हुआ। इसके बाद कुछ सालों तक छत्तीसगढ़ के चिरीमिरी स्थित कोलमाइंस क्षेत्र में रहीं। 15 साल की आयु रही होगी, तबसे वह समाजसेवा कर रही हैं। हालांकि उन्हें बचपन से ही यह शौक था। कोलमाइंस में काम करने वाले परिवारों के बच्चों को पढ़ाना, उन्हें जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराना आदि उनकी दिनचर्या रही है। मानसी चौधरी शादी के बाद 1998 में मानसी गोपीचंद भांदककर बनकर नागपुर आईं। उनके ससुर वामनराव भांदककर तबला वादक व शिक्षक थे। उनके ससुर की इच्छा थी कि उनका परिवार दीन-दुखियों की सेवा करे, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था। जब मानसी आईं तो, उन्होंने अपने ससुर की इच्छा पूरी करने की ठान ली और चल पड़ीं उन लोगों की खोज करने, जो इस काम में उनकी मदद कर सकें।

सफर में लोग जुड़ते गए

नए सफर की शुरुआत कला मंच से जुड़कर की। इसके साथ ही साधना लंगर सेवा शुरू की। संगीत में स्नातक तक शिक्षा ले चुकी मानसी ने कला मंच के साथ मिलकर चैरिटी शो करने लगीं। कभी गंभीर बीमारी से ग्रस्तों के लिए, कैंसर ग्रस्तों के लिए, कभी अनाथ आश्रम के लिए, कभी वृद्धाश्रम के लिए शो करती रहीं। इससे जो आय होती है, वह किसी अनाथ आश्रम, किसी वृद्धाश्रम या गरीब जरूरतमंदों के लिए खर्च करती हैं। लंगर सेवा के माध्यम से अनशनकर्ताओं, आंदोलनकर्ताओं, झोपड़पट्टियों में, फुटपाथ और सड़कों पर रहने वाले जरूरतमंदों को भोजन सेवा दी जाती है। गोधनी के एक स्कूल में 150 अनाथ बच्चों को हर महीने उनके जरूरत की सामग्री वितरित की जाती है।

वृद्धाश्रम में बांटीं खुशियां

शहर के एक वृद्धाश्रम में मानसी ने वहां के लोगों से बातचीत की। पता चला कि किसी के बेटा-बहू विदेश चले गए, किसी बेटे ने मां-बाप की संपत्ति हड़पने के बाद उन्हें छोड़ दिया। किसी के बेटे बड़े-बड़े पदों पर और बड़े व्यवसायी होने के बावजूद मां-बांप को मरने के लिए छोड़कर चले गए। कुछ तो ऐसी संतानें हैं, जो यहीं रहने के बावजूद मां-बाप से दूर हो गए हैं। इन लोगों की कहानी सुनकर मानसी द्रवित हो गईं। मानसी ने उन लोगों को खुशियां देने के लिए अपनी संगीत शिक्षा का उपयोग किया। वृद्धाश्रम में जाकर वहां के लोगों के लिए नि:शुल्क गीत-संगीत का कार्यक्रम करना शुरू किया। मानसी के समाजसेवा कार्य में काफी लोग जुड़ रहे हैं। मानसी का कहना है कि यदि मन में विश्वास हो, तो किसी भी शक्ति की साधना आसान हो जाती है। यही कारण है कि वह समाजसेवा कर पा रही हैं।



Created On :   19 Oct 2023 5:46 PM IST

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