नागपुर: जिस प्लॉट का मालिकाना हक 2008 में मिला उसे 4 साल पहले जगदीश ने तीन लोगों को बेच दिया

जिस प्लॉट का मालिकाना हक 2008 में मिला उसे 4 साल पहले जगदीश ने तीन लोगों को बेच दिया
  • पीड़ित ने सुनाई आपबीती - मैंने एनआईटी में नाम चढ़ाने का पॉवर दिया था, उसने प्लॉट ही बेच दिया
  • मुझे 2009 में जब कोर्ट का नोटिस आया, तब पता चला मेरा प्लॉट तीन लोगों को बिक चुका है

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जगदीश जैस्वाल की गैंग से ठगे गए पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब एक और ठगी का मामला सामने आया है। जिस प्लॉट का मालिकाना हक 2008 में मिला उसे जगदीश जैस्वाल गैंग ने 2005 में बेच दिया, वह भी तीन लोगों को। आखिर में अपनी पत्नी के नाम रजिस्ट्री करवाकर उसे पजेशन देने का केस भी दायर कर दिया, जबकि आज तक प्लॉट मूल मालिक से पास ही है, जिसे मालिकाना हक मिला हुआ है। भास्कर के पास पहुंचे पीड़ितों ने बाताया कि, जगदीश जैस्वाल और उसके पार्टनर रंजीत सारड़े ने अधिकांश गरीब लोगों को निशाना बनाया, जो कोर्ट कचहरी नहीं समझते। इनमें से कुछ लोगांें ने हिम्मत जुटाई और अलग से केस भी किया, मगर अधिकांश कोर्ट में केस लड़ने और वकील की मोटी फीस देने तक में सक्षम नहीं हैं, जिनके प्लॉटों पर जैस्वाल ने कब्जा भी ले लिया।


पीड़ित ने सुनाई आपबीती - मैंने एनआईटी में नाम चढ़ाने का पॉवर दिया था, उसने प्लॉट ही बेच दिया

किशोर आदमने ने भास्कर को बताया कि, 1982 में 86/2 मानेवाड़ा में 1590 स्क्वैयर फीट का प्लॉट नागपुर बेघर मित्र गृहनिर्माण सहकारी संस्था लि. नागपुर ने मुझे आवंटित किया था। रजिस्ट्री और अन्य प्रक्रियाएं बाकी थीं। 11 फरवरी 2003 को इस प्लॉट से संबंधित कुछ दस्तावेज निकालने थे, जिसके लिए मैंने जगदीश जैस्वाल को पॉवर ऑफ अटर्नी दी। उसने उसी पॉवर के आधार पर 9 अगस्त 2024 में संजय भैयालाल जैस्वाल को प्लॉट बेच दिया और रजिस्ट्री भी करवा दी। इसके बाद संजय ने इसे विद्या जैस्वाल के नाम गिफ्ट डीड की। संजय जैस्वाल के अनुसार उनके नाम से फर्जी पाॅवर ऑफ अटर्नी बनाकर इसी प्लॉट को 2005 में जगदीश ने अपनी पत्नी ममता जैस्वाल के नाम से बेचकर रजिस्ट्री करवा दी।

मुझे 2009 में जब कोर्ट का नोटिस आया, तब पता चला मेरा प्लॉट तीन लोगों को बिक चुका है

किशोर आदमने ने बताया कि, इस मामले में मुझे कोर्ट का एक नोटिस 2009 में आया कि, जो प्लॉट का कब्जा ममता जैस्वाल को देने संबंधी था, तब मुझे पत चला कि, मेरा प्लॉट, जिस पर अभी भी मेरा अधिकार है और मेरे पास ही है, जगदीश जैस्वाल और उसकी गैंग ने तीन लोगों को बेचकर रजिस्ट्री भी कर दी। पीड़ित इस मामले में शासन से एसआईटी के गठन की मांग कर रहे हैं, वहीं पीआईएल लगाने की भी तैयारी है

धोखाधड़ी की हद देखिए, बिना मालिकाना हक के प्लॉट बेच दिया

इस पूरे मामले में किशोर का कहना है कि, धोखाधड़ी की हद देखिए, मुझे नागपुर बेघर मित्र गृहनिर्माण सहकारी संस्था लि. नागपुर ने 6 दिसंबर 2008 को संबंधित प्लॉट पर कब्जा देकर अधिकृत रजिस्ट्री कर मालिकाना हक दिया। जिस प्रॉपटी का हक ही मेरे पास 2008 में आया, वह 2004-05 में तीन बार किस आधार पर बिक गई। एनआईटी और एनएमसी में भी प्लाॅट मेरे नाम पर आज तक है। अब हम कोर्ट गए हैं, जहां इस मामले की सच्चाई रख रहे हैं।


Created On :   15 Jan 2024 2:56 PM GMT

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