समाज का मार्गदर्शक है साहित्य - जरगर

समाज का मार्गदर्शक है साहित्य - जरगर
  • कागज कीमती तब हो जाता है, जब उस पर कुछ लिखा जाता
  • साहित्यकारों की कृतियों के अंशों का वाचन सभी के लिए उपयोगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर | कागज कीमती तब हो जाता है, जब उस पर कुछ लिखा जाता है। लिखा हुआ कागज यदि पढ़ लिया जाए तो स्वयं को तो भाव मालूम पड़ते ही हैं, सुनने वालों को भी। साहित्यकारों की कृतियों के अंशों का वाचन सभी के लिए उपयोगी, लाभदायक और आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रहा। समाज में जागरण का शंखनाद साहित्य से अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता। साहित्य जागरण का माध्यम ही नहीं, बल्कि समाज का मागदर्शक भी है। यह विचार विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम साहित्यिकी के अंतर्गत ‘किताबें बोलतीं हैं’ में बतौर अध्यक्ष दीपक ज़रगर ने व्यक्त किए। संयोजक डॉ विनोद नायक ने संचालन करते हुए कबीर दास के दोहे यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान, शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान प्रस्तुत किए। साहित्यकारों की कृतियों के हृदयस्पर्थी अंश प्रस्तुत किए गए। अमिता शाह ने हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला, संतोष बुधराजा ने शिवखेड़ा की जीत आपकी, रमेश मौंदेकर ने नितिन गडकरी की आत्मकथा, प्रा. आदेश जैन ने अशोक चक्रधर की चक्रव्यूह, हेमलता मिश्र मानवी ने सुभद्रा कुमारी चौहान की खूब लड़ी मर्दानी, शादाब अंजुम ने गजल संग्रह, स्वाति पैंतिया ने निदा फाजली का गीत, भोला सरवर ने सम्पूर्ण गज़ल शास्त्र, सुरेंद्र हरडे ने मन पसंद काव्य, रितु जरगर ने अहा जिंदगी पत्रिका से कहानी, देवयानी बैनर्जी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर की गीतांजलि, पूनम मिश्रा ने राजकपूर की आत्मकथा के अंश प्रस्तुत किये। श्रेष्ठ प्रस्तुति हेतु अमिता शाह व संतोष बुधराजा का स्वागत अंगवस्त्र से किया।

Created On :   17 July 2023 6:41 PM IST

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