सराहनीय कदम: सिकलसेल से जूझती जिंदगियों को मिली नई सांस, एडीजी संदीप तामगाडगे ने मुफ्त इलाज का उठाया बीड़ा

सिकलसेल से जूझती जिंदगियों को मिली नई सांस, एडीजी संदीप तामगाडगे ने मुफ्त इलाज का उठाया बीड़ा
  • शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया
  • चुनौतियों के बीच 21 साल से नगालैंड में

Nagpur News. सिकलसेल से जूझती जिंदगियों को नई सांस देने नागपुर में बड़ी पहल हुई है। इसके तहत नागपुर जिला परिषद की स्कूलों में 14734 बच्चों की सिकलसेल जांच की गई। इसमें 847 बच्चों में एएस पैटर्न और 98 बच्चों में एसएस पैटर्न पाया गया। यह आंकड़े सावधान करते हैं। 2021 से इस दिशा में काम कर रही संस्था सिकलसेल निर्मूलन के लिए लगातार प्रयास कर रही है। संस्था की ओर से 45 हजार लोगों की जांच गई है।

भास्कर से बातचीत में बताया

दैनिक भास्कर से बातचीत में यह जानकारी नागपुर के आईपीएस अधिकारी व नगालैंड के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडीजी) संदीप तामगाडगे ने दी है। उन्होंने सिकलसेल जैसे पीढ़ियों तक दर्द पहुंचाने वाले रोग के खिलाफ अहम कदम बढ़ाया है। स्मृतिशेष मधुकरराव तामगाडगे चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने सिकलसेल रोगियों का ब्लड जांच से लेकर सभी तरह का नि:शुल्क उपचार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए संस्था ने मेघे ग्रुप के साथ एक एमओयू साइन किया है। इसके जरिये हिंगना स्थित शालिनीताई मेघे अस्पताल सहित चार अस्पतालों में सिकलसेल रोगियों का उपचार नि:शुल्क होगा। ब्लड बैंक को भी आईडेंटिफाई कर उनके साथ एमओयू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सिर्फ जांच कर छोड़ा नहीं जाएगा। इसके निर्मूलन की दिशा में कदम बढ़ाकर सिकलसेल रोगियों का मुफ्त इलाज करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जिलाधिकारी को भी इसकी रिपोर्ट देकर आगे की प्लानिंग की जाएगी।

राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो

एडीजी संदीप तामगाडगे ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सरकार की पॉलिसी से लेकर इसे गांव स्तर तक ले जाया जाए। सिकलसेल को पब्लिक मंच पर लाने की कोशिश है। लोगों में उसकी चर्चा हो। जिस तरह थैलेसीमिया की चर्चा होती है, वैसी स्थिति सिकलसेल के बारे में नहीं है। इस बीमारी पर भी चर्चा होनी चाहिए। एडीजी तामगाडगे ने कहा कि सरकार ने 2047 तक सभी देशवासियों की स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया है। 2047 तक देश की 200 करोड़ जनसंख्या होगी। हमारा फोकस है कि जहां जरूरत है, वहां काम होना चाहिए। इससे समय और पैसा दोनों की बचत होगी। विशेष यह कि शादी के पहले इस पर सामाजिक प्रबोधन की जरूरत है। इसके लिए ‘एक राष्ट्र-एक प्रयास’ का संकल्प लेना होगा।


शिक्षा के क्षेत्र में भी काम

एडीजी संदीप तामगाडगे ने बताया कि फिलहाल उनकी अनुपस्थिति में पत्नी कामकाज देखती है। हम लोगों से पैसे नहीं लेते, दवाई दान करने को कहते है। शिक्षा क्षेत्र में भी काम किया जा रहा है। कई लाइब्रेरी बनाई गई। समाजभवन, विहार आदि से संपर्क किया गया। 2012-13 से इसकी शुरूआत की गई। विदर्भ में 40-45 लाइब्रेरी शुरू की गई। इसके जरिये करीब 700 बच्चे सरकारी नौकरी में चयनित हुए। उन्हें कहा गया कि पहले अपना परिवार देखें। उसके बाद गरीब बच्चों का मार्गदर्शन कर पांच-पांच बच्चों की मदद करें। लड़कियों पर भी फोकस किया। ज्यादातर बच्चियां बीच में पढ़ाई छोड़ देती है। 2017 में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया। अनाथ बच्चियों को स्कॉलरशिप देकर पढ़ाया। हर साल 100 बच्चियों को स्कॉलरशिप देकर पढ़ाई कर खर्च उठाया जाता है।

चुनौतियों के बीच 21 साल से नगालैंड में

आईपीएस अधिकारी तामगाडगे ने 21 साल से नगालैंड में ड्यूटी कर रहे हैं। उत्तर-पूर्व भारत में इतना लंबा समय किसी ने नहीं गुजारा। यहां कई गंभीर चुनौतियां हैं। जनजातियां बहुल क्षेत्र होने से वे बाहरी लोगों से ज्यादा घुलते-मिलते नहीं है। आजादी के 75वर्ष बाद भी उग्रवाद चुनौती है। वे किसी के शासन के अधीन रहना नहीं चाहते। इसलिए रह-रहकर स्थानीय कुछ संगठन उग्र हो जाते हैं।

Created On :   4 Aug 2025 7:08 PM IST

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