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पहली कक्षा से पाठ्यक्रम में संगीत शिक्षा जरूरी
- स्कूल-कॉलेजों में भी नहीं नियमित कक्षाएं
- शिक्षकों के साथ अन्याय
- पाठ्यक्रम में संगीत शिक्षा जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बच्चों को सुलाने के लिए मां लोरी गाती है, बच्चों को लय के साथ थपथपाकर सुलाती है, यही संगीत है। जीवन के हर मौके पर संगीत शामिल है। यह एकमात्र ऐसा विषय है, जिसे साधना कहा गया है। दूसरे किसी विषय को साधना नहीं कहा जाता है, इसलिए संगीत का ज्ञान हरेक को होना जरूरी है। संगीत एकाग्रता व सकारात्मकता के भाव को जन्म देता है। मस्तिष्क विकास में संगीत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए संगीत को पहली कक्षा से ही पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। ऐसा संगीत गुरु अकील अहमद ने कहा। सरगम संगीत विद्यालय के वार्षिक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने संगीत से जुड़ी अनेक बारिकियों पर अपने विचार रखे।
इसलिए नहीं हो पाते परिपक्व : संगीत गुरु ने संगीत के प्रति वर्तमान विचारधारा को लेकर निराशा व्यक्त की। वर्तमान में बच्चे 12वीं तक पढ़ने के बाद ही संगीत विषय को लेते हैं। उस समय करियर संबंधित दूसरे विषयों पर लक्ष्य केंद्रित करने का समय होता है, इसलिए उनके लिए संगीत सीख पाना आसान नहीं होता। संगीत को पूरक विषय मानकर सीखने से विद्यार्थी इस विषय में परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
शिक्षकों के साथ अन्याय
उन्होंने बताया कि संगीत शिक्षक के साथ अन्याय किया जाता है। समय-सारिणी में रोज संगीत की कक्षाएं नहीं होती हैं। सप्ताह में एक-दो दिन ही होती हैं। इससे तालीम, रियाज समेत सैकड़ों समस्याएं आती हैं। संगीत शिक्षक को अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए लगाया जाता है। संगीत साधना का विषय अब अंतिम श्रेणी का विषय बन चुका है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों, विद्यापीठों व महाविद्यालयों के प्रमुखों से संगीत को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया है।
Created On :   5 Jun 2023 5:55 PM IST