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Nagpur News: नागपुर शहर में सीमेंट रास्तों के किनारे होगा बरसाती जल पुर्नभरण
- मनपा का पर्यावरणपूरक अभियान आरंभ
- विश्वश्वरैय्या राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान से जल पुर्नभरण का डिजाइन और नक्शा तैयार
Nagpur News महानगरपालिका प्रशासन से सिमेंट रास्ते फेज- 4 निर्माणकार्य के अंतर्गत बरसाती पानी से भूजल पुनर्भरण काे आरंभ किया गया है। मनपा के इस पर्यावरणपूरक विकास से नई पहल आरंभ हुई है। महानगरपालिका आयुक्त डॉ. अभिजीत चौधरी के मार्गदर्शन में सीमेंट रास्ते निर्माणकार्य के फेज- 4 में करीब 33 रास्तों में 196 स्थान पर जल संकलन व भूजल पुनर्भरण गड्डे तैयार किए जाएंगे, जिसमें करीब 51 रिचार्ज पीट का काम पूर्ण हो गया है। इस प्रक्रिया से परिसर के जलस्त्रोत में जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही इन इलाकों में पिछले साल की तुलना में जलजमाव में भी कमी आई है।
मनपा प्रकल्प विभाग के तकनीकी सलाहकार शशांक ताटेवार के मुताबिक सीमेंट रास्ते निर्माणकार्य में 14 पैकजे में 23.45 किलोमीटर लंबाई के 33 रास्तों का समावेश है। इसमें से 26 रास्तों के काम जारी है। विश्वश्वरैय्या राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान से जल पुर्नभरण का डिजाइन और नक्शा तैयार किया गया है। इन कामों को क्रियान्वित करने के लिए सलाहकार समिति के रूप में पुणे की क्रिएशन्स प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी दी गई है। डामर रास्तांे के अनुपात में सीमेंट रास्ते करीब 20 से 25 वर्षे अधिक समय तक मजबूत होने के साथ ही नियमित देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि सीमेंट रास्तों के चलते जमीनी जलस्तर में बढ़ोतरी नहीं होती है। ऐसे में मनपा प्रशासन ने सीमेंट रास्तों के किनारे बरसाती जल संकलन एवं भूजल पुनर्भरण को आरंभ किया है।
ऐसी है जलपुर्नभरण प्रक्रिया : बरसाती जलजमाव अधिक होने वाले इलाके में दो और तीन नालियों के जोड़ने वाले इलाकों में बरसाती जल संकलन व भूजल पुनर्भरण गड्ढे प्रस्तावित किए गए हैं। प्रत्येक गड्ढे में 2000 से 4000 चौरस वर्गमीटर कॅचमेंट में जलसंकलन किया जाएंगा। करीब 50 मि.मी. प्रति घंटा बरसात होने पर प्रत्येक गड्ढे में 100 से 150 घनमीटर पानी जमा होने से जलस्तर में बढ़ोतरी होगी। जल पुर्नभरण प्रक्रिया में 1 मीटर व्यास के गोल अथवा चौकोर और 2 मीटर गहराई के गड्डे को बनाया जाता है। इसके बाद 300 मि.मी. व्यास के 20 मीटर गहरे बोअर कर परकोलेटेड पाईप डाला जाता है। गड्ड्े में 40 मि.मी. आकार में गिट्टी, समेत बालू की सहायता से सोकपिट तैयार की जाती है। बरसती पानी के प्रवाह को जोडकर चेंबर में पाईप से जल पुनर्भरण गड्ढे को जोड़ा जाता है। चेंबर के पानी के सीधे तौर गड्ढे में पहुंचने से भूजल स्तर में बढ़ोतरी होती है। चेंबर में कीचड़ और मिट्टी को पहुंचने से रोकने के लिए परकोलेटेड पाइप का सिरा 20 सेमी ऊपर रखा जाता है।
आयुक्त ने जायजा लिया : मनपा आयुक्त तथा प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी और अधीक्षक अभियंता लीना उपाध्ये ने हाल ही में जल पुर्नभरण प्रक्रिया का जायजा लिया। इस दौरान स्नेह नगर, खामला, जॉगर्स पार्क के समीप जल संकलन व भूजल पुनर्भरण गड्ढे का निरीक्षण किया। आयुक्त ने बरसाती पानी के नाले को जोड़ने वाले चेंबर से पीवीसी पाईप चेंबर को 1 फीट उंचाई पर रखने का निर्देश दिया है, ताकि कम बरसात में भी पानी गड् में संकलन हो सके।
Created On :   9 Aug 2025 5:55 PM IST