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Nagpur News: सावधान ! ज्यादा नमक - चीनी और वसा वाले आहार से है सीवीडी का खतरा, जानिए - कैसे करें बचाव
- कार्डियो रीनल मेटाबॉलिज्म विषय पर सीएमई कार्यक्रम
- सीवीडी में हृदयाघात, स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, हार्ट फेल होता
- संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, बीपी शूगर व कोलेस्ट्रॉल जांच जरूरी
Nagpur News. सीवीडी में हृदयाघात, स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप, हार्ट फेल होता है। इसका मुख्य कारण ज्यादा नमक,चीनी, वसा वाले आहार, धूम्रपान, तंबाकू, मोटापा, व्यायाम की कमी, हाई ब्लड प्रेशन, शुगर, तनाव आदि है। सीवीडी के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस फूलना, चक्कर, बांहें,पीठ, जबड़े में दर्द, अनियमित धड़कन होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, बीपी शूगर व कोलेस्ट्रॉल जांच, तंबाकू-शराब से दूरी, तनाव नियंत्रण जरुरी है। देश में कुल मौतों के आंकड़ों में से 27 फीसदी मौतें सीवीडी से होती है। नागपुर जैसे महानगरों में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसा हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुज सारडा ने बताया। एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडिया (एपीआई) विदर्भ चैप्टर ने सीवीडी पर सीएमई कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर विदर्भ के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हिस्सा लिया।
डायबिटीज, मोटापा, थायरॉयड मेटाबॉलिक सिंड्रोम
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सुहास कानफाडे के प्रास्ताविक भाषण से हुई। वैज्ञानिक सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रकाश खेतान, डॉ. प्रमोद गांधी एवं डॉ. आर. बी. कलमकर ने की। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अमित पसारी ने मेटाबॉलिक विकार और किडनी रोग के बीच के प्रभाव को बताया। उन्होंने शरीर के मेटाबॉलिज्म यानि भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया में गड़बड़ी से होने वाली बीमारियाें की जानकारी दी। डायबिटीज, मोटापा, थायरॉयड विकार, मेटाबॉलिक सिंड्रोम आदि इसके प्रकार है। इसका कारण विषम आहार, व्यायाम की कमी, अनुवांशिकता, हार्मोन असंतुलन है। इसकी रोकथाम के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण, समय-समय पर जांच जरुरी है। वैसे ही किडनी रोग में क्रॉनिक किडनी डिजीज, किडनी स्टोन, नेफ्राइटिस होता है। लंबे समय तक हाई बीपी या डायबिटीज, संक्रमण, दवाओं का दुष्प्रभाव, अनुवांशिक कारण होते हैं। इसके लक्षणों में पेशाब में बदलाव, सूजन, थकान, भूख कम लगना शामिल है। इसे नियंत्रित करने के लिए बीपी, शुगर नियंत्रण, पर्याप्त पानी, तंबाकू-शराब से दूरी, समय पर जांच करवाना अनिवार्य बताया गया है।
शरीर में जमा होनेवाली चर्बी हानिकारक
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. पूजा जाधव ने फैट डिस्ट्रीब्यूशन और उससे शरीर पर होनेवाले प्रभाव के बारे में मार्गदर्शन किया। पेट पर चर्बी आंतरिक अंगों के आसपास जमा होती है। इससे दिल की बीमारियां, डायबिटीज, हाई बीपी का खतरा होता है। कूल्हों-जांघों पर चर्बी, त्वचा के नीचे जमा चर्बी कम हानिकारक होती है। लेकिन यदि यह चर्बी तेेजी से बढ़े और ज्यादा हो तो जोड़ों पर दबाव और मोटापे की समस्याएं बढ़ा सकती है। अधिक फैट होने पर हार्मोन असंतुलन, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा सकता है। संतुलित आहार और व्यायाम से फैट को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा भी डॉ. जाधव ने बताया। आभार प्रदर्शन डॉ. जयेश तिमाने ने किया।
Created On :   10 Aug 2025 6:19 PM IST