Nagpur News: 3 वर्ष से अटके 903 प्रोजेक्ट रद्द, नागपुर के 3, भिवापुर के 2, हिंगना का 1, विदर्भ के 253 प्रकल्प गए

3 वर्ष से अटके 903 प्रोजेक्ट रद्द, नागपुर के 3, भिवापुर के 2, हिंगना का 1, विदर्भ के 253 प्रकल्प गए
  • सिंचाई अनुशेष बढ़ने की आशंका
  • प्रकल्प की विफलता के 4 स्टेप्स

Nagpur News. सिंचाई अनुशेष (बैकलॉग) को लेकर विधानमंडल के नागपुर सत्र में हमेशा विवाद गर्माता रहा है। सिंचाई प्रकल्पों को सरकार से निधि नहीं मिलना और उसका समय पर पूरा नहीं होना अनुशेष का बड़ा कारण रहा है। सिंचाई सुविधा नहीं होने से विदर्भ में किसान आत्महत्या भी बड़ा मुद्दा बना है। सिंचाई अनुशेष में पिछड़ा कहे जाने वाले विदर्भ को सरकार ने एक और झटका दिया है। 3 साल से ज्यादा समय से जो प्रकल्प आगे नहीं बढ़ पाए हैं या किसी कारण से अटके हैं, ऐसे 903 सिंचाई प्रकल्पों को सरकार ने रद्द कर दिया है। इन प्रकल्पों की लागत 197 करोड़ 23 लाख रुपए थी। इन प्रकल्पों में विदर्भ के 253 प्रकल्प हैं।

सिंचाई अनुशेष बढ़ने की आशंका

रद्द किए गए प्रकल्पों में सर्वाधिक चंद्रपुर और वर्धा जिले के हैं। नागपुर जिले में भिवापुर के 2 और हिंगना का एक प्रकल्प शामिल है। इन प्रकल्पों के रद्द होने से स्थानीय स्तर पर जो सिंचाई क्षमता निर्माण होना था, वह नहीं हो पाई है। इस कारण सिंचाई का अनुशेष और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि यह सभी योजनाएं छोटी-छोटी हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर किसानों के लिए महत्वपूर्ण और जीवनदायी साबित हो सकती हैं।

सरकार का तर्क

इस संबंध में सरकार ने 5 जून को एक शासकीय परिपत्रक जारी किया है। परिपत्रक में बताया गया कि जलसंधारण विभाग अंतर्गत लघु सिंचाई योजना, कोल्हापुरी सिंचाई बांध, पाझर तालाब आदि की मंजूरी प्रदान की जाती है। इसके अलावा दुरुस्ती योजना को भी प्रशासकीय मान्यता दी जाती है, किन्तु उक्त योजना में से कुछ 3 वर्ष से अधिक समय के लिए मुख्यता: प्रलंबित भूसंपादन, स्थानीय लोगों का विरोध, ठेकेदारों का असहकार्य और निधि के अभाव के कारण योजना का काम शुरू नहीं हो पाता है। ऐसे बंद व रूके हुए प्रकल्पों के कारण संबंधित लेखाशीर्ष में दायित्व बढ़ा हुआ दिखता है। यही कारण है कि नये कामों को प्रशासकीय मान्यता देने की गति कम होती है। अनेक जगह किसान सिंचाई से वंचित रहते हैं। जनप्रतिनिधियों की मांग पूरा करना संभव नहीं हो पाता है। इसे ध्यान में रखकर 3 वर्ष से ज्यादा समय से बंद योजनाओं की प्रशासकीय मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया गया है।

विफलता को 4 स्टेप्स में समझें

1. विडंबना : सरकार विविध कारण गिना रही है, लेकिन सूत्र प्रशासकीय विफलता मानते हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार से अनेक प्रकल्पों को प्रशासकीय मान्यता मिलने के बाद कई महीनों तक प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ती है।

2. औपचारिकता : योजना स्थल का दौरा तक नहीं किया जाता है। किसी तरह मुहूर्त निकलता है और निरीक्षण किया जाता है। फिर इसकी रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंपी जाती है। अौपचारिकता में साल-दो साल निकल जाते हैं।

3. लापरवाही : किसी तरह प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो तकनीकी दिक्कतें सहित लोगों का विरोध भी झेलना पड़ता है। प्रशासन कई दिनों तक हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। इन सबकी वजह से काम को गति नहीं मिल पाती है।

4. असर : खामियाजा, स्थानीय किसानों को भुगतना पड़ता है। सिंचाई क्षमता बढ़ नहीं पाती है और अंतत: सरकार अतिरिक्त दायित्व दिखाकर इन्हें रद्द कर देती है।

Created On :   9 Jun 2025 6:52 PM IST

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