Nagpur News: अश्लीलता नहीं तो गाली देना अपराध नहीं, हाईकोर्ट ने प्राध्यापक पर दर्ज मामला किया रद्द

अश्लीलता नहीं तो गाली देना अपराध नहीं, हाईकोर्ट ने प्राध्यापक पर दर्ज मामला किया रद्द
  • अश्लील शब्दों या गीतों का प्रयोग करना अपराध माना जाता है
  • तीन महीने की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान हैं

Nagpur News. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि गंदी, अपमानजनक या गाली-गलौज वाली भाषा का प्रयोग अपने आप में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 के तहत अपराध नहीं है, जब तक उसमें अश्लीलता शामिल न हो या किसी व्यक्ति को वास्तविक कष्ट या परेशानी न हुई हो। यह फैसला न्यायमूर्ति एम. नेर्लीकर ने सुनाया। धारा 294 के अनुसार, किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकत करना या अश्लील शब्दों या गीतों का प्रयोग करना अपराध माना जाता है, जिसके लिए तीन महीने की जेल, जुर्माना या दोनों का प्रावधान हैं।

यह मामला भंडारा जिले के साकोली स्थित एक पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राध्यापक अमित अशोक जगदाले से संबंधित था। उन पर आरोप था कि उन्होंने ऑफिस की खिड़कियों और टीवी को नुकसान पहुंचाया और प्राचार्य को गाली देते हुए धमकाया, जिससे लगभग एक लाख रुपये का नुकसान हुआ।

साकोली की कनिष्ठ अदालत और भंडारा सत्र न्यायालयदोनों ने जगदाले की याचिका (मामला रद्द करने के अनुरोध) को खारिज कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

जगदाले के वकील आई. एस. चारलेवार ने तर्क दिया कि, “भले ही चार्जशीट में लिखी सभी बातें सही मानी जाएं, फिर भी धारा 294 लागू नहीं होती, क्योंकि इस मामले में न तो अश्लीलता है और न ही किसी को वास्तविक कष्ट हुआ है।” वहीं, पुलिस की ओर से एड. एम. जोशी ने पक्ष रखा।

क्या कहा न्यायालय ने? हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि “केवल गंदी या असंसदीय भाषा का प्रयोग करने से धारा 294 नहीं लगाई जा सकती। गवाहों के बयानों में कहीं यह नहीं कहा गया है कि उस भाषा से किसी को वास्तविक रूप से परेशानी या कष्ट हुआ।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ अपमानजनक या गाली-गलौज वाले शब्द बोलने से अपराध नहीं बनता, जब तक उनमें अश्लीलता न हो। न्यायालय ने यह भी माना कि जगदाले का व्यवहार संभवतः सेवानिवृत्ति लाभ (पेंशन और भविष्य निधि) न मिलने से हुई नाराजगी का परिणाम था। इसलिए, हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय और कनिष्ठ न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए धारा 294 के तहत दर्ज अपराध समाप्त कर दिया, हालांकि अन्य धाराओं के तहत चल रही कार्रवाई जारी रहेगी।

Created On :   13 Oct 2025 6:37 PM IST

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