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Nagpur News: अंधविश्वास का विज्ञान और तर्क से संबंध नहीं , भ्रम दूर करना ही वैचारिक क्रांति

Nagpur News अंधश्रद्धा के विरुद्ध संघर्ष केवल नकारात्मक सोच को समाप्त करने का नहीं, बल्कि समाज में विवेक, विज्ञान और मानवीय मूल्यों की स्थापना का आंदोलन है। और यही ‘मूढनम्बिके’ पुस्तक का मूल संदेश है। अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्याध्यक्ष हरीश देशमुख लिखित हिंदी पुस्तक का कन्नड भाषा में प्रकाशन हुआ है। हिंदी भाषा में यह पुस्तक ‘अंधश्रद्धा: वास्तव और जीवनमूल्य’ है। इसका कन्नड़ संस्करण ‘मूढनम्बिके’ नाम से प्रकाशित किया गया है। इसका विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। लेखक हरीश देशमुख ने इस अवसर पर पुस्तक के प्रमुख अंशों का उल्लेख करते हुए बताया कि आज भी हमारे समाज में कई ऐसे अंधविश्वास हैं, जो विज्ञान और तर्क से परे हैं और इन्हें दूर करना ही वैचारिक क्रांति है।
इस कदर हावी है समाज में अंधश्रद्धा : देशमुख ने दो उदाहरण देते हुए अंधश्रद्धा किस कदर हावी है, इसपर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देव उठाने या देव उतरवाने की प्रथा कई ग्रामीण इलाकों में है। बीमारी या आपदा आने पर गांव के लोगों को यह यकीन दिलाया जाता है कि कोई देव (भगवान) नाराज है। इसलिए उसे प्रसन्न करने के लिए पशु बलि या चमत्कारिक अनुष्ठान किए जाते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से यह सिर्फ डर और अज्ञान पर आधारित अंधश्रद्धा है। उन्होंने कहा कि तंत्र-मंत्र से रोगों का उपचार का भ्रम आज भी है। अनेक लोग चिकित्सकीय इलाज के बजाय झाड़-फूंक, ताबीज या ऊर्जा-प्रवाह जैसे उपायों पर विश्वास करते हैं। जिससे गंभीर बीमारियों का इलाज देर से होता है और कई बार जान भी चली जाती है। देशमुख ने कहा कि इस तरह के अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोन और जागरूकता जरूरी है।
देशभर के नामी लोगों की उपस्थिति : विमोचन कार्यक्रम में देशभर के साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कन्नड़ भाषा अभिवृद्धी प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ. पुरूषोत्तम बिलीमले ने की। पुस्तक का कन्नड भाषा में अनुवाद मैसूर के प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीनिवास नाटेकर ने किया है। कार्यक्रम के उद्घाटक के रुप में बी.आर. रंगास्वामी उपस्थित थे। डॉ. शशिधन बिलगी ने चिकित्सा क्षेत्र पर मार्गदर्शन किया। प्रिन्स विनरास पेरियार ने पेरियार के वैचारिक चिंतन पर मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में फिरा के अध्यक्ष प्रो. नरेंद्र नायक ने वैचारिक आंदोलन का भविष्य व संगठन विषय पर अपने विचार रखे।
Created On :   4 Oct 2025 5:57 PM IST