Nagpur News: अपने शरीर पर अधिकार सिर्फ महिला का : कोर्ट

अपने शरीर पर अधिकार सिर्फ महिला का : कोर्ट
‘गर्भपात कराना है या नहीं, अंतिम फैसला भी केवल वही लेगी’

Nagpur News बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 16 वर्षीय नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को 25 सप्ताह की अनचाही गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति दे दी। न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति राज वाकोड़े की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा, ‘अपने शरीर पर पूरा अधिकार सिर्फ महिला का है। गर्भपात कराना है या नहीं, इसका अंतिम फैसला भी केवल वही लेगी।’

अनचाहा बोझ पड़ता है : कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, सहमति से हुई गर्भावस्था की जिम्मेदारी दोनों साथी बराबर बांटते हैं, लेकिन दुष्कर्म से हुई अनचाही गर्भावस्था का पूरा बोझ सिर्फ महिला पर पड़ता है, जो उसकी शारीरिक-मानसिक सेहत को गहरी ठेस पहुंचाता है। पीड़िता ने अपनी मां के जरिए याचिका दाखिल की थी। 19 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर बने मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट दी कि, पीड़िता पूरी तरह स्वस्थ है, भ्रूण में कोई विकृति नहीं है, लेकिन कम उम्र और अविवाहित मां बनने के सामाजिक कलंक के कारण वह गर्भ नहीं रखना चाहती। माता-पिता ने भी लिखित सहमति दे दी है।

भ्रूण की डीएनए रिपोर्ट पुलिस को सौंपने के आदेश : हाईकोर्ट ने माना कि, 25 हफ्ते पर गर्भपात में जोखिम जरूर है, लेकिन पीड़िता या भ्रूण की जान को तत्काल खतरा नहीं है, इसलिए उसकी और परिवार की इच्छा का सम्मान करते हुए गर्भपात की अनुमति दी गई। साथ ही अदालत ने पीड़िता-माता-पिता की लिखित सहमति के साथ अमरावती महिला अस्पताल में तुरंत सुरक्षित गर्भपात करने, भ्रूण का डीएनए टेस्ट कराकर गाडगे नगर पुलिस को रिपोर्ट सौंपने के आदेश देते हुए याचिका का निपटारा कर िदया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. विश्वेश नायक और राज्य सरकार की ओर से एड. अनूप बदर ने पैरवी की। तेजस जस्टिस फाउंडेशन ने पीड़िता को पूरी तरह निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की।

Created On :   26 Nov 2025 1:34 PM IST

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