किसानों की कितनी चिंता, दिखाई दे रहा

किसानों की कितनी चिंता, दिखाई दे रहा
  • कपास खरीदी केंद्रों के मामले में हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
  • 557 केंद्रों की जरूरत, केवल 89 ही शुरू
  • केंद्र सरकार और सीसीआई से 3 सप्ताह में मांगा जवाब

Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में कपास खरीदी को लेकर चल रही जनहित याचिका की मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट में बताया गया कि विदर्भ में 16 लाख 86 हजार 485 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती होती है। इसके लिए 557 खरीदी केंद्रों की जरूरत है, लेकिन कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने अब तक सिर्फ 89 केंद्र ही शुरू किए हैं। इन केंद्रों के समय पर नहीं खुलने से किसान एमएसपी से बहुत कम कीमत पर निजी व्यापारियों को कपास बेचने को मजबूर हैं। इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने तल्ख टिप्पणी की, ‘इससे किसानों की कितनी चिंता है यह दिखाई देती है?’ साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार और सीसीआई को इस पर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

जवाब नहीं दे पाए : नागपुर खंडपीठ में ग्राहक पंचायत महाराष्ट्र संस्थान के श्रीराम सातपुते ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर मंगलवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में सीसीआई ने बताया था कि महाराष्ट्र में 168 और विदर्भ में 89 कपास खरीदी केंद्र 15 अक्टूबर से शुरू कर दिए गए हैं। कोर्ट ने पूछा कि इनमें से वास्तव में कितने केंद्र सचमुच चल रहे हैं और अन्य सवाल किए, लेकिन सीसीआई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाया। खरीदी केंद्रों की अव्यवस्था पर अदालत ने सीसीआई को कड़ी फटकार लगाई और केंद्र शुरू करने के मानदंडों पर विस्तृत हलफनामा मांगा। याचिकाकर्ता ने विदर्भ में कम से कम 200 केंद्र शुरू करने की मांग की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से प्रस्तावित स्थानों की सूची देने को कहा और इस मामले में एड. पुरुषोत्तम पाटील को न्यायालय मित्र नियुक्त किया था।

कोर्ट को सौंपा ब्योरा : मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय मित्र एड. पुरुषोत्तम पाटील और याचिकाकर्ता ने खुद नागपुर जिले के कुछ गांवों का दौरा कर किसानों से मिली वास्तविक जानकारी के आधार पर शपथपत्र दाखिल किया। शपथपत्र में बताया गया कि विदर्भ में 16 लाख 86 हजार 485 हेक्टेयर में कपास की खेती होती है। इसके लिए 557 खरीदी केंद्रों की जरूरत है, लेकिन अभी तक सिर्फ 89 केंद्र ही शुरू किए गए हैं। किसानों की समस्याओं व समाधान का पूरा ब्योरा भी कोर्ट को सौंपा गया। इसी शपथपत्र के आधार पर अदालत ने केंद्र सरकार और सीसीआई को तीन सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया।

एप के बारे में नहीं जानते किसान : न्यायालय मित्र ने शपथपत्र में खुलासा किया कि ज्यादातर कपास किसानों को ‘कपास किसान’ एप के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। कई किसानों के पास स्मार्टफोन तक नहीं है और जिनके पास है, उन्हें एप पर रजिस्ट्रेशन की जटिल प्रक्रिया के कारण भारी परेशानी हो रही है। इन गंभीर मुद्दों पर भी हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और सीसीआई को स्पष्ट जवाब मांगा है।

अमरावती विभाग में सबसे ज्यादा जरूरत : शपथपत्र के अनुसार विदर्भ में सबसे अधिक कपास की खेती अमरावती विभाग में होती है। यहां 10 लाख 39 हजार 508 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास बोई जाती है और 344 खरीदी केंद्रों की जरूरत है, लेकिन सीसीआई ने महज 54 केंद्र ही शुरू किए हैं। नागपुर विभाग में 6 लाख 46 हजार 977 हेक्टेयर कपास क्षेत्र के लिए 213 केंद्र चाहिए, पर केवल 35 केंद्र ही चालू हैं। दोनों प्रमुख विभागों में जरूरत के मुकाबले सिर्फ 15-16 फीसदी केंद्र ही खुले हैं।


Created On :   26 Nov 2025 11:50 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story