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Nagpur News: बच्चों के सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ हवा जरूरी

- प्रदूषण के कारण बढ़ रही समस्याओं पर मार्गदर्शन
- बच्चों की श्वसन समस्याओं पर आधारित राष्ट्रीय बाल श्वसन सम्मेलन
Nagpur News प्रदूषण और जेनेटिक विकार आज बच्चों की श्वसन समस्याओं को खतरनाक स्तर तक बढ़ा रहे हैं। वायु में मौजूद महीन कण, धूल और रसायन फेफड़ों की प्राकृतिक सुरक्षा को कमजोर करते हैं। आनुवंशिक संवेदनशीलता के कारण कई बच्चे इन प्रभावों के प्रति और अधिक असुरक्षित हो जाते हैं। यह दोहरा दबाव श्वसन संक्रमण, दमा और दीर्घकालिक फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए स्वच्छ हवा, समय पर चिकित्सकीय जांच और जागरूकता बेहद आवश्यक है। ऐसा प्रदूषण, जेनेटिक विकार और बच्चों की श्वसन समस्याओं पर आधारित राष्ट्रीय बाल श्वसन सम्मेलन ‘पेडपुलमोकॉन’ में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने कहा।
देशभर के डॉक्टरों व विशेषज्ञों ने लिया हिस्सा : बाल चिकित्सा अकादमी नागपुर शाखा द्वारा आईएपी राष्ट्रीय श्वसन सोसायटी की वार्षिक सम्मेलन ‘पेडपुलमोकॉन 2025’ का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देशभर के डॉक्टरों और बाल श्वसन रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया। सम्मेलन का नेतृत्व आईएपीएनआरसी अध्यक्ष डॉ. संजीव सिंह रावत, सचिव डॉ. नारायण मोदी, आयोजन अध्यक्ष डॉ. विनोद गांधी, मुख्य आयोजन सचिव एवं एओपी नागपुर अध्यक्ष डॉ. शिल्पा हजारे, संरक्षक डॉ. उदय बोधनकर तथा वैज्ञानिक समिति अध्यक्ष डॉ. संजय मराठे ने किया। उनके मार्गदर्शन में तैयार किए गए कार्यक्रम की सभी ने सराहना की।
‘बेहतर भविष्य के लिए स्वच्छ व सुरक्षित सांस लेना’ : मुख्य अतिथि विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र नई दिल्ली की डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी और विशेष अतिथि सीआईएपी अध्यक्ष डॉ. वसंत खलतकर ने किया। कार्यक्रम का नेतृत्व महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. विंकी रुघवानी और मेडिकल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनाश गावंडे ने किया। सम्मेलन का विषय ‘बेहतर भविष्य के लिए स्वच्छ व सुरक्षित सांस लेना’ था। इस दौरान महत्वपूर्ण चर्चा व वैज्ञानिक सत्र आयोजित किये गए। डॉ. अनुमिता रॉय चौधरी ने देश के कई शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि दिल्ली का एक्यूआई 400 तक पहुंच चुका है, जबकि नागपुर का स्तर बढ़कर 200 तक जा रहा है।
डॉ. संदीप सालवी ने बताया कि बच्चों के फेफड़ों पर प्रदूषण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक पटाखे का धुआं लगभग 500 सिगरेट के धुएं के बराबर होता है। उनके अलावा अनेक डॉक्टर्स व विशेषज्ञों ने प्रदूषण और जेनेटिक विकार व श्वसन समस्याओं पर अपने विचार रखें। सम्मेलन को सफल बनाने में डॉ. संदीप मोगरे, डॉ. संजय देशमुख,डॉ. अनिल राऊत, डॉ. मोहिब हक, डॉ. अविनाश गावंडे, डॉ. मिलिंद मांडलिक, डॉ. मुस्तफा अली, डॉ. कैलाश वैद्य, डॉ. पंकज अग्रवाल, डॉ. ऋषि लोढया, डॉ. अंजू कडू, डॉ. प्रणोति जाधव, डॉ. राजेंद्र डागा, डॉ. अनिल जैसवाल, डॉ. सुचित बागडे और डॉ. प्रवीण पागे आदि ने सह्योग किया।
Created On :   27 Nov 2025 4:47 PM IST















