Nagpur News: बेमौसम बारिश से ईंट भट्ठा उद्योग को तगड़ा झटका, मूल्य में भी हुई वृद्धि

बेमौसम बारिश से ईंट भट्ठा उद्योग को तगड़ा झटका, मूल्य में भी हुई वृद्धि
  • प्रधानमंत्री आवास योजना भी प्रभावित
  • ईंट भट्ठा उद्योग को तगड़ा झटका

Nagpur News. नौतपा में आमतौर पर तेज गर्मी पड़ती है, लेकिन इस वर्ष मौसम ने अप्रत्याशित रूप से करवट ली और मई माह में हुई बारिश ने ईंट भट्ठा उद्योग को गहरी चोट पहुंचाई है। कच्ची ईंटों के गलने और उत्पादन रुकने से भट्ठा मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कुछ मालिकों को कर्ज लेने की नौबत आ गई है।

लाखों का हुआ नुकसान

इस समय आमतौर पर ईंट निर्माण जोरों पर होता है, ताकि बरसात के मौसम में ईंटों की सप्लाई जारी रह सके। इस बार अचानक हुई बारिश ने भट्ठों में तैयार की जा रही कच्ची ईंटों को बर्बाद कर दिया। इससे भट्ठा मालिकों को दोबारा उत्पादन करने के लिए अतिरिक्त मजदूरी और सामग्री का खर्च उठाना पड़ रहा है। ईंट भट्ठा मालिकों के अनुसार, प्रत्येक भट्ठे को औसतन 1 से 2 लाख रुपए तक का नुकसान हुआ है। कुछ छोटे स्तर पर काम करने वाले मालिकों की तो एक लाख से अधिक ईंटें पानी में गल गईं। कई मालिकों को कर्ज लेने की नौबत आ गई है।

उद्योग संघ की सरकार से गुहार

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र ब्रिक्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल मेहाडिया और सचिव संजय पालीवाल ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर राहत की मांग की है। एसोसिएशन ने महाराष्ट्र के उद्योगमंत्री उदय सामंत को पत्र सौंपकर रॉयल्टी और जीएसटी में छूट देने का निवेदन किया है, ताकि इस संकट में उद्योग को सहारा मिल सके।

निर्माण कार्य पर असर

बेमौसम बारिश से प्रधानमंत्री आवास योजना को भी बड़ा झटका लगा है। योजना के तहत किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर ईंटों की मांग थी। ईंटों की आपूर्ति बाधित होने और उत्पादन में गिरावट के कारण अब ईंटों के दाम 10 हजार रुपए से ऊपर पहुंच चुके हैं। इससे निर्माण कार्य रुकने की आशंका है। आम लोगों का अपने घर का सपना अधूरा रह सकता है। संजय पालीवाल ने जानकारी दी कि पिछले वर्ष आवास योजना में मकानों के लिए इस बार ईंटों की अधिक मांग थी, जिसे पूरा करने के लिए निर्माण कार्य तेज़ी से शुरू किया गया था, लेकिन बारिश से नुकसान हुआ है।

बारिश का सीधा प्रभाव

खुले में रखी कच्ची ईंटें बारिश में गल जाती हैं।

भीगी हुई ईंटें भट्ठियों में पकाने पर खराब हो जाती हैं।

बेमौशम बारिश से उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है।

भट्ठियों में जल रही आग बारिश से बुझ जाती है।

उत्पादन लागत और मजदूरी बढ़ जाती है।

Created On :   2 Jun 2025 8:37 PM IST

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