- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- भावना से बने भावेश ने ट्रांसजेंडरों...
Nagpur News: भावना से बने भावेश ने ट्रांसजेंडरों को दिखाई नई राह, मजबूरी में घर था छोड़ा

- 3000 से अधिक मानते हैं उम्मीद
- 400 ट्रांसजेंडरों को दिखाई नई राह
- घृणा, गलत व स्वार्थ भरी निगाहों से बचकर निकले
- 19 साल की उम्र में मजबूरी में घर छोड़ा
Nagpur News. चंद्रकांत चावरे | नागपुर निवासी ट्रांसमैन भावेश जैन की कहानी फिल्मी नहीं, बल्कि उनकी जीवनी है। 19 साल की उम्र थी, जब मजबूर होकर भावेश (उस समय भावना) ने घर छोड़ा। 28 साल तक यातनाएं सहना और संघर्ष चलता रहा। तब जाकर नये जीवन की शुरुआत हुई। महिला से पुरुष बनने की यात्रा उनकी नई व्यक्तिगत पहचान की तलाश थी। जो यातनाएं उन्होंने सही है, जो संघर्ष उन्होंने किया है, वह किसी ट्रांसजेंडर को न सहना पड़े, भावेश ने यह प्रण लिया है। वे 400 ट्रांसजेंडरों के लिए नई उम्मीद बनकर जीने की राह आसान कर चुके हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति समाज में जागरुकता, उनमें आत्मविश्वास जगाना, उनके लिए समाज में समानता का स्थान सुनिश्चित करना, उनकी आत्मनिर्भरता के लिए काम करना यह भावेश का लक्ष्य है।
परिजनों ने रस्सी से बांधकर उल्टा लटका दिया था
मुझे वह दिन याद है, जब परिजनों ने रस्सी से बांधकर उल्टा लटका दिया था। लात-घूंसों व डंडे से खूब पीटा था। ऐसा कई बार हुआ। परिजनों को मेरा मर जाना मंजूर था, लेकिन घर में रहना गंवारा न था, क्योंकि मैं ट्रांसजेंडर था। किशोरावस्था में था, जाऊं तो जाऊं कहां…कोई राह और रोजगार नहीं। असहनीय यातनाओं के साथ दिन गुजारता रहा। किसी के मन में मेरे प्रति कोई सहानुभूति और दया का भाव न था। यातनाएं थमने की बजाय बढ़ते जा रही थी। कई-कई दिन भूखा सोया। कभी बंद दरवाजे के बाहर सिसकियां लेते हुए रातें बिताई। प्रतिरोध करूं भी तो किसका? दर्दनाक यातनाएं सहते-सहते जीवन के 18 साल पूरे कर लिये। घर, समाज, रिश्ते-नातें सभी मुझे जहरीली नजरों से देखते थे। स्कूल-कॉलेज में अपमान ही मिलता रहा। एक दिन मेरी सहनशक्ति जवाब दे गई। अब जिऊंगा या मरूंगा यह सोचकर साल 1999 में उम्र के 19 वें साल रक्षाबंधन के दिन घर छोड़ दिया।
घृणा, गलत व स्वार्थ भरी निगाहों से बचकर निकले
भावेश ने घर छाेड़ने के बाद मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई, भोपाल, दिल्ली, नाशिक आदि शहरों में काम किया। जहां गए वहां अनेक कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा है। लोग उन्हें घृणाभरी, गलत व स्वार्थ की नजर से देखते थे। भावेश यानी उस समय की भावना को भेष बदलकर, पहचान छिपाकर, जमाने की बुरी नजरों से बचकर हर कदम आगे बढ़ाना पड़ा था। 2018 में दिल्ली में महिला से पुरुष बनने की पहली सर्जरी के साथ नई पहचान बनाने की शुरुआत हुई। इसके बाद दो और सर्जरी हुई। अब अंतिम सर्जरी होना बाकी है। भावेश ने बंगलुरु की एक फॉर्मास्युटिकल्स कंपनी में एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) की नौकरी की। यहां ढाई साल तक काम करने के बाद भोपाल अाकर में दूसरी कंपनी में काम शुरू किया। काम करते करते बीएससी किया। यहीं पर 4 साल का नैचुरोपैथी डिप्लोमा कोर्स किया। कंपनी की तरफ से नाशिक गए। जिस होटल ठहरे थे, वहीं अंजलि से मुलाकात हुई। दोनों में प्रेम हुआ। 15 मार्च 2024 को नागपुर में विवाह किया। अब नागपुर में साथ रहते हैं। अंजलि ब्यूटिशियन है व भावेश नैचुरोथेरेपिस्ट है।
सबसे कड़वा अनुभव : भागदौड़ के दौरान एक बार चेन्नई से दिल्ली पहुंचे। यहां गुटखा कंपनी में मार्केटिंग का काम करने लगे। कंपनी के मालिक ने रहने खाने की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन वह गलत नजरें रखता था। उसने 4 महीने तक एक ही कमरे में कैद कर रखा। उसी इमारत में एक टेलर की दुकान थी। वहां एक महिला आती थी। एक दिन भावेश ने बहुत सारी पेन किलर खा ली और बेहोश हुआ। अचानक उस महिला ने सीढ़ियों से कमरे में झांककर देखा। भावेश बेहोश अवस्था में पड़ा था। लोगों की मदद से उपचार के लिए ले जाया गया। भावेश ने अपनी कहानी उस महिला को बताई। उस महिला ने 3 महीने तक अपने घर में रखा। बाद में भावेश दोबारा मुंबई आ गया।
यह प्रयास, जो सराहनीय है
1. भावेश देश भर के अलग-अलग समूह के 3000 से अधिक ट्रांसजेंडरों से जुड़े हैं। 400 ट्रांसजेंडरों की प्रत्यक्ष मदद की है।
2. 2018 में देश का पहला ट्रांसजेंडरों के लिए स्पेशल इवेंट ‘ट्रांसमीट’ का आयोजन किया था। यहां देशभर के सैकड़ों ट्रांसजेंडर पहुंचे थे।
3. भावेश स्कूलों-कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों, शिक्षकों व माता-पिताओं को ट्रांसजेंडर क्या होता है, उनकी वास्तविकता के बारे में जागरुक करते हैं।
4. भावेश ने सारथी ट्रस्ट के साथ मिलकर ट्रांसजेंडर, एचआईवी प्रभावितों और सेक्स वर्कर्स के लिए विविध कार्यक्रम आयोजित किये हैं। इससे उनके भीतर आत्मनिर्भरता का भाव पैदा हुआ। आत्मविश्वास बढ़ा और उनके कदम स्वरोजगार की दिशा में बढ़े। एमएसएमई व डीआईसी द्वारा आयोजित बैठकों में ट्रांसजेंडरों के साथ हिस्सा लिया।
Created On :   12 May 2025 7:50 PM IST