Nagpur News: भाषा विचारों को व्यक्त करने का प्रमुख माध्यम : डॉ. लेंढे

भाषा विचारों को व्यक्त करने का प्रमुख माध्यम : डॉ. लेंढे
‘लिंगभाव और संवेदनशीलता' पर कार्यशाला

Nagpur News विज्ञान, तकनीक और आधुनिक समाज में लिंग और जाति भेदभाव को पार कर समानता के सिद्धांत को अपनाना आवश्यक है। यह संदेश राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र, राज्यशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र, मराठी, दर्शनशास्त्र और संस्कृत विभागों के संयुक्त प्रयास से तीन दिवसीय ‘लिंगभाव संवेदनशीलता' कार्यशाला में दिया गया। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के राज्यशास्त्र विभाग के सभागार में संपन्न हुई।

व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान : कार्यशाला के पहले सत्र में मराठी विभाग के प्रमुख डॉ. शैलेंद्र लेंढे ने ‘लिंगभाव संवेदना और भाषा' पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि भाषा हमारी संवेदनाओं, भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का प्रमुख माध्यम है। डॉ. लेंढे ने कहा कि हमारी संवेदनाएं भाषा के माध्यम से विकसित होती हैं और यह व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

लैंगिकता पर चर्चा : दूसरे सत्र में डॉ. प्रदीप मेश्राम, (जे. एम. पटेल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य) ने ‘लिंग और लैंगिकता विषय पर मार्गदर्शन किया। उन्होंने समाज में प्रचलित महिला-पुरुष वर्गीकरण के अतिरिक्त विषमलिंगी, उभयलिंगी, समलैंगिक और ट्रांसजेंडर (तृतीयपंथी) व्यक्तियों के जीवन और अनुभवों का विस्तृत विवेचन किया।

व्यक्तियों की अवहेलना : तीसरे सत्र में कु. प्रियंवदा वर्मा (एनआईटी शोधकर्ता) ने मुख्यधारा में समलैंगिकता के समावेश को समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने इतिहास में श्रीखंडी, भागीरथ, मोहिनी, अर्धनारीश्वर, कामसूत्र और खजुराहो के मंदिरों जैसे उदाहरणों के माध्यम से लिंग विविधता के प्रमाण प्रस्तुत किए, साथ ही समाज द्वारा ऐसे व्यक्तियों के प्रति होने वाली अवहेलना पर भी प्रकाश डाला।

समानता का व्यवहार

समापन कार्यक्रम में डॉ. अशोक बोरकर, डॉ. प्रदीप मेश्राम और डॉ. शैलेंद्र लेंढे उपस्थित रहे। वक्ताओं ने कहा कि मनुष्य को मनुष्य के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। तीन दिन के सत्र का सारांश डॉ. पायल चामटकर ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला के चारों सत्र का संचालन डॉ. अनिता इंदूरकर, डॉ. नितीन कायरकर और डॉ. सदफ खान ने किया। आभार व्यक्त करने का कार्य सुरेंद्र भोंडाणे, रजत इरपाटे, डॉ. प्रियंका अंबादे, प्रशांशा खांडेकर और समीर कुमरे ने किया। कार्यशाला में करीब 150 छात्र और शिक्षक उपस्थित थे।

Created On :   6 Oct 2025 12:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story