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Nagpur News: राज्य में 30 लोगों के खिलाफ जारी नजरबंदी का आदेश रद्द

Nagpur News बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य में 30 लोगों के खिलाफ जारी नजरबंदी (प्रिवेंटिव डिटेंशन) के आदेशों को रद्द कर दिया है। ये आदेश महाराष्ट्र प्रिवेंशन ऑफ डेंजरस एक्टिविटीज एक्ट (एमपीडीए) 1981 के तहत दिए गए थे। अदालत ने कहा कि ये आदेश यांत्रिक तरीके से पारित किए गए थे और कानूनी नियमों का पालन नहीं किया गया। न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति सिद्धेश्वर ठोंबरे की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
कानूनन सही नहीं : मुख्य याचिकाकर्ता अक्षय सहारे समेत अन्य लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उनकी नजरबंदी के आदेश गलत हैं। कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने पूरे महाराष्ट्र में एक ही तरह की परिस्थितियां बताकर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त को नजरबंदी के अधिकार दिए, जो कानून के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी परिस्थितियां हर जिले में अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन आदेश में कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जिन घटनाओं का हवाला देकर नजरबंदी आदेश जारी किए गए, वे केवल स्थानीय स्तर पर शांति भंग जैसी मामूली घटनाए थीं, जिनसे व्यापक जनहित या सार्वजनिक व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके बावजूद आदेश पारित किए गए और उनकी पुष्टि भी महज औपचारिकता के रूप में सेक्शन ऑफिसर्स द्वारा कर दी गई, जो कानूनन सही नहीं है।
तुरंत रिहा करें : इसलिए न्यायालय ने कहा कि अधिकार सौंपने, नजरबंदी, अपील और पुष्टि से जुड़े आदेश विधिक कसौटी पर टिकते नहीं हैं और उन्हें रद्द किया जाना चाहिए। इसलिए सभी याचिकाएं मंजूर करते हुए अदालत ने आदेश दिया कि सभी व्यक्तियों को तुरंत रिहा किया जाए, अगर वे किसी अन्य मामले में जरूरी न हों। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. मीर नगमान अली, एड. एस. के. लांबट और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील तथा वरिष्ठ विधिज्ञ देवेन चौहान तथा एड. संजय डोईफोडे ने पैरवी की।
Created On :   6 Oct 2025 12:15 PM IST