Nagpur News: भिवापुरी मिर्च पर गहराया संकट, 200 साल पुरानी पहचान 100 एकड़ में सिमटी

भिवापुरी मिर्च पर गहराया संकट, 200 साल पुरानी पहचान 100 एकड़ में सिमटी
  • हाइब्रिड बड़ा कारण, दाम में दोगुना का अंतर
  • पैदावार कम, कतरा रहे किसान

Nagpur News विदर्भ की पहचान और नागपुर के भिवापुर इलाके की खास भिवापुरी मिर्च धीरे-धीरे खत्म होने की कगार पर है। ये मिर्च करीब 200 साल पुरानी विरासत है, जो अपने स्वाद, औषधीय फायदे और लंबे समय तक खराब न होने के कारण पहचानी जाती है। अब इसके बीज की शुद्धता घट रही है, पैदावार कम हो गई है और इस पर कोई ठोस रिसर्च भी नहीं हो रहा है। यही वजह है कि किसान इसकी बुआई से कतराने लगे हैं।

3000 एकड़ में होती थी खेती : पहले ये मिर्च 2000 से 3000 एकड़ में उगाई जाती थी, लेकिन अब इसका दायरा घटकर सिर्फ 100 एकड़ रह गया है। भिवापुरी मिर्च की उपज 15-20 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, जबकि हाइब्रिड मिर्च से 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज मिलती है। यही वजह है कि किसान मेहनत ज़्यादा और मुनाफा कम होने की वजह से अब हाइब्रिड मिर्च उगाने लगे हैं। बाजार में भिवापुरी मिर्च 200 रुपए किलो बिकती है, जबकि हाइब्रिड मिर्च 100 रुपए किलो में बिकती है।

मिर्ची के कई औषधीय गुण : इस मिर्च की खास बात यह है कि इसे खाने से पेट में जलन नहीं होती। यह मिर्च एंटी-ऐसिडिटी है। इसका रंग हल्का हरा होता है और यह लंबे समय तक खराब नहीं होती।

व्यक्तिगत मांग में वृद्धि : इस मिर्च की मांग पहले देश भर के बाजारों में थी, लेकिन अब उत्पादन घट जाने के कारण इसकी बिक्री केवल भिवापुर कृषि बाजार तक सीमित रह गया है। इसके औषधीय गुणों के कारण कई वीआईपी ग्राहक इसे हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। हालांकि, किसानों को बाजार में उनकी मिर्च की उचित कीमत नहीं मिलती, लेकिन जब वे इसे सीधे व्यक्तिगत ग्राहकों को बेचते हैं, तो उन्हें अधिक लाभ होता है।

किसानों की मांग- रिसर्च हो, बीज बचें : किसानों का कहना है कि इस मिर्च पर रिसर्च होनी चाहिए, ताकि इसके बीजों की शुद्धता बची रहे और पैदावार भी बढ़े। वरना ये मिर्च भी सिर्फ किताबों और यादों में रह जाएगी। यह सिर्फ मिर्च नहीं, बल्कि विदर्भ की पहचान और खेती से जुड़ी एक सांस्कृतिक विरासत है।

पारंपरिक खेती का प्रयास : भिवापुरी मिर्ची हम पिताजी के जमाने से लगाते आ रहे हैं। इस मिर्ची को जीआई टैग भी मिला है। आज इसकी बीज भी बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है। इसकी शुद्धता और गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए हम अब केवल एक एकड़ में इसकी खेती करते हैं। कई किसान इसे आधे एकड़ में, तो कुछ केवल चौथाई एकड़ में लगाते हैं। उत्पादन दर काफी कम होने के कारण कई किसान इसकी खेती से पीछे हट रहें हैं। – डॉ. नारायण लांबट, किसान, भिवापुर

फिर लौटेगी असली भिवापुरी मिर्च? : अब बहुत कम किसान असली भिवापुरी मिर्च उगाते हैं। इसे फिर से जिंदा करने के लिए पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ ने कोशिश शुरू की है और कुछ हद तक सफलता भी मिली है। अगर पूरा कामयाब हो गए तो फिर असली भिवापुरी मिर्च बाजार में देखने को मिलेगी। -डॉ. विनोद खड़से, कृषि महाविद्यालय नागपुर

इसे जीआई टैग दिया गया है : भिवापुरी मिर्च भिवापुर की खास लोकल किस्म है। इसके दुरुपयोग से बचने के लिए इसे जीआई टैग दिया गया है। यह कैश क्रॉप है, लेकिन पैदावार कम होने से अब किसान इसे बहुत कम मात्रा में बोते हैं। -आशीष गुंडेवार, कृषि अधिकारी, भिवापुर


Created On :   1 Aug 2025 3:17 PM IST

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