Nagpur News: दीक्षाभूमि के लिए 24 करोड़ व्यर्थ , विकास कार्य भी नहीं हुआ

दीक्षाभूमि के लिए 24 करोड़ व्यर्थ , विकास कार्य भी नहीं हुआ
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, याचिकाकर्ता को सुझाव देने के आदेश

Nagpur News अंतरराष्ट्रीय श्रद्धास्थल दीक्षाभूमि पर परियोजना में बाधा के कारण जनता के 24 करोड़ रुपए व्यर्थ हो गए। अनुयायियों को कोई सुविधा नहीं मिली और पिछले एक साल में कोई विकास कार्य भी नहीं हुआ। इस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने अपनी मौखिक टिप्पणियों में कहा कि नई योजना तैयार करने के लिए याचिकाकर्ता पक्ष से अनुयायियों की सुविधाओं और दीक्षाभूमि के समग्र विकास के लिए सुझाव नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में न्यायालय किस आधार पर आदेश देगा? कोर्ट ने यह भी कहा कि दीक्षाभूमि के विकास के लिए हमारी न्यायिक सेवाओं का उपयोग होना चाहिए, ताकि परियोजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन हो सके।

तत्काल आवश्यक कदम उठाएं : एड. शैलेश नारनवरे ने दीक्षाभूमि के सर्वांगीण विकास के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर बुधवार को न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस से पहले याचिकाकर्ताओं ने अपर्याप्त सुविधाओं पर नाराजगी जताते हुए अर्जी दायर की थी। अदालत ने इस पर गंभीर संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को अनुयायियों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था।

प्रोजेक्ट पर असर : सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि पिछले एक वर्ष से दीक्षाभूमि का विकास कार्य रुक गया है। इस पर कोर्ट ने नासुप्र से पूछा कि विकास कार्य क्यों रुका। नासुप्र ने बताया कि विकास योजना के अनुसार अंडरग्राउंड पार्किंग के लिए 21 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसके बाद विवाद उठने के कारण इस जगह को समतल करने के लिए 3 करोड़ रुपए और खर्च हुए। यानी कुल 24 करोड़ रुपए व्यर्थ गए। उन्होंने यह भी बताया कि अंडरग्राउंड पार्किंग का काम रुकने से पूरे प्रोजेक्ट पर असर पड़ा और परियोजना में बदलाव करना पड़ा।

जनता का पैसा बर्बाद हुआ : कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बड़े प्रोजेक्ट में प्रत्येक कार्य एक-दूसरे पर निर्भर होता है, जैसे बिना पहले फ्लोर के दूसरा फ्लोर नहीं बन सकता। परियोजना में बाधाओं के कारण जनता का पैसा बर्बाद हुआ और अनुयायियों को कोई सुविधा नहीं मिली। विकास कार्य भी रुक गया। सरकार द्वारा मंजूर निधि जस की तस है। इसलिए कोर्ट ने नासुप्र को परियोजना में किए गए बदलाव की जानकारी याचिकाकर्ता को देने के आदेश दिए और याचिकाकर्ता को भी दीक्षाभूमि के विकास कार्य के लिए सुझाव देने को कहा। इस मामले में अगली सुनवाई दिवाली अवकाश के बाद निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता एड. शैलेश नारनवरे ने स्वयं पक्ष रखा और नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे ने पैरवी की।

समिति में गुटबाजी के कारण बाधा : दीक्षाभूमि परिसर में अंडरग्राउंड पार्किंग को लेकर हुए आंदोलन के बाद विकास प्रोजेक्ट रुका हुआ है। सुनवाई के दौरान दीक्षाभूमि स्मारक समिति में गुटबाजी होने की बात सामने आई। नासुप्र ने कहा कि बदलाव किए गए परियोजना के चार प्रस्ताव तैयार हैं, लेकिन विचाराधीन प्रस्ताव को मंजूरी मिलने में बाधा आ रही है। कोर्ट ने इस स्थिति पर संज्ञान लेते हुए स्मारक समिति, याचिकाकर्ता, नासुप्र और अन्य संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि वे मौके पर जाकर विकास परियोजना के लिए सुझाव प्रस्तुत करें।

Created On :   9 Oct 2025 12:43 PM IST

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