Nagpur News: दो साल में मनपा के 9 भाषाई स्कूल बंद , भाषाई शिक्षा से अब भी आम जनता को परहेज

दो साल में मनपा के 9 भाषाई स्कूल बंद , भाषाई शिक्षा से अब भी आम जनता को परहेज
  • प्रदेश में मराठी भाषा को लेकर राजनीति
  • लेकिन शिक्षा को लेकर गंभीरता नहीं

Nagpur News नीरज दुबे . राज्य भर में मराठी भाषा को लेकर राजनीतिक बयानबाजी का दौर चल रहा है। मराठी को प्राथमिकता देने और बोलचाल की भाषा में प्रयोग को लेकर आंदोलन भले ही हो रहे हैं, लेकिन मराठी भाषा में शिक्षा से अब भी आम जनता को परहेज बना हुआ है। गुरुवार को राज्य में 66वां महाराष्ट्र दिन मनाया जा रहा है, लेकिन पालकों के अंग्रेजी प्रेम और प्रशासन की अनदेखी के चलते उपराजधानी में पिछले दो साल में 8 प्राथमिक और 1 माध्यमिक स्कूल बंद हो चुके हैं। हैरानी यह है कि मनपा स्कूलों में छात्रों की संख्या में पांच सालों में 2 से 5 फीसदी कमी हो रही थी, लेकिन शिक्षा सत्र 2024-25 में छात्र संख्या में 10 से 20 फीसदी तक की कमी हो गई है। हालांकि मनपा प्रशासन का दावा है कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के साथ ही शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर अनेक कदम उठाए गए हैं।

कोई रूचि नजर नहीं आ रही है : उपराजधानी में महानगरपालिका से शिक्षा में सुधार के लिए डिजिटल बोर्ड से शिक्षा देने और इमारतों में पेयजल, शौचालय सुविधा के साथ ही खेल के मैदान उपलब्ध कराए जा रहे हैं। छात्रों में शिक्षा के साथ खेल और संास्कृतिक क्षेत्र में विकास के लिए भी अवसर मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन स्कूलों में मराठी, हिंदी और उर्दू पाठ्यक्रम को लेकर पालकों में कोई रूचि नजर नहीं आ रही है। महंगे अंग्रेजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास पालक कर रहे हैं। ऐसे में पिछले दो सालों में मनपा की 9 स्कूल बंद हो चुके हैं। इन स्कूलों में फुटाला स्थित प्रियदर्शिनी प्राथमिक स्कूल, रामनगर प्राथमिक स्कूल, परसोड़ी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्राथमिक स्कूल समेत अन्य 5 प्राथमिक और सीताबर्डी की शेषराव वानखेड़े माध्यमिक स्कूल का समावेश है। मनपा से शहर में 96 प्राथमिक और 28 माध्यमिक स्कूलों का संचालन हो रहा है, लेकिन पिछले दो सालों में प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी विद्यार्थी संख्या में 10 से 20 फीसदी की कमी पाई गई है।

प्रतिस्पर्धा में पिछड़े: स्कूलों में विद्यार्थियों के कमी को लेकर प्रशासन से कोई भी ठोस वजह नहीं बताई जा रही है, लेकिन वास्तविकता में मनपा स्कूलों के शिक्षकों से प्रतिस्पर्धा में टिकने में खुद को मजबूत नहीं पाया जा रहा है। पारंपरिक ढर्रे से अध्यापन, विद्यार्थियों को रोचक रूप में शिक्षादान की कमी, छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान देने में शिक्षक कम पा रहे हैं। इसके साथ ही गर्मी के दिनों में अन्य स्कूलों से विद्यार्थियों के प्रवेश को लेकर आर्थिक संसाधन देने में भी मनपा के शिक्षक कमजोर साबित हो रहे हैं।

7 अंग्रेजी भाषा में शिक्षा वाले स्कूल : करीब 3 साल पहले स्वयंसेवी संस्था आकांक्षा के साथ मनपा ने अंग्रेजी स्कूलों का प्रयोग आरंभ किया है। शहर में 6 विधानसभा क्षेत्र में 6 अंग्रेजी स्कूलों का आकांक्षा के सहयोग से संचालन हो रहा है। इन स्कूलों के लिए इमारत और बुनियादी सुविधा मुहैया कराई है, जबकि शिक्षकों और पाठयक्रम को आंकाक्षा से चलाया जा रहा है। मनपा से एकमात्र जीएम बनातवाला अंग्रेजी स्कूल संचालित किया जा रहा है। इस स्कूल में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल अंग्रेजी भाषा में चलाया जा रहा है।

शिक्षा और शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास : मनपा प्रशासन से नवचेतना अभियान आरंभ कर इमारतों का सौंदर्यीकरण, बुनियादी सुविधा बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा शिक्षकों को प्रशिक्षण, डिजिटल बोर्ड से शिक्षादान भी आरंभ कर दिया गया है। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरों को लगाकर 80 फीसदी उपस्थिति वाली छात्राओं को शिक्षा 4 हजार रुपए भत्ता भी दे रहे हैं। 9 बंद स्कूलों को नए सिरे से अंग्रेजी पाठयक्रम के साथ आरंभ करने पर भी जोर दिया जा रहा है। -साधना सोयाम, शिक्षणाधिकारी, मनपा


Created On :   2 May 2025 7:13 AM

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