संतरानगरी में वीरू: साल 2000 का वो किस्सा जिसमें धर्मेंद्र जमकर गुदगुदाए और मजाकिया अंदाज में बेबाकी से रखते गए अपनी बात

साल 2000 का वो किस्सा जिसमें धर्मेंद्र जमकर गुदगुदाए और मजाकिया अंदाज में बेबाकी से रखते गए अपनी बात
  • पद, प्रतिष्ठा और लोकप्रियता इंसान को अहंकारी नहीं बनाती
  • इन्सान को ज़मीन से जुड़ा रहना चाहिए
  • जिसे मैं गोद में उठा-उठाकर नाचा था, उसी ने ‘इज्जत’ के हीरो की बेइज्जती कर दी!

Nagpur News. संजय देशमुख. किस्सा 6 जनवरी साल 2000 का है। जब सिविल लाइन्स में तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री अनिल देशमुख के बंगले में दरवाज़े से भीतर प्रवेश करते ही 5 फीट 10 इंच लंबी, चौड़े कंधों वाली, मजबूत कद-काठी की शख्सियत दिखाई दी, जिसे बॉलीवुड का ही-मैन धर्मेंद्र कहा जाता है। उस वक्त धर्मेंद्र के चेहरे से नज़र हटनी मुश्किल थी। कमरे में मौजूद हर व्यक्ति बस उन्हें देखता ही रह गया।

इसके अगले करीब आधे घंटे तक धर्मेंद्र बेबाकी से अपनी बात रखते रहे। जयललिता के स्वभाव से लेकर फिल्मी दुनिया के किस्सों तक। उन्होंने बहुत कुछ कहा और सवालों के जवाब दिए। दरअसल, मराठा लांसर की ओर से काटोल में आयोजित अखिल भारतीय कबड्डी स्पर्धा का उद्घाटन करने वे नागपुर आए थे। अनिल देशमुख के आग्रह पर कार्यक्रम में शामिल होने से पहले उन्होंने कुछ पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत की।

धर्मेंद्र मानते थे कि “पद, प्रतिष्ठा और लोकप्रियता इंसान को अहंकारी नहीं बनाती—बनाना इंसान को होता है।”, वे अक्सर कहते थे, इन्सान को ज़मीन से जुड़ा रहना चाहिए।

बातों ही बातों में उन्होंने पूर्व तमिलनाडु मुख्यमंत्री जयललिता से जुड़ा एक किस्सा सुनाया। 1968 में रिलीज हुई फिल्म ‘इज्जत’ में धर्मेंद्र और जयललिता ने साथ काम किया था। जयललिता की यह एकमात्र हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म का मशहूर गीत “जागी बदन में ज्वाला…” इन्हीं दोनों पर फिल्माया गया था।

धर्मेंद्र ने बताया कि चेन्नई में उनकी एक फिल्म की शूटिंग चल रही थी, जिसके लिए कुछ सरकारी अनुमति (NOC) लंबित थी। कलाकारों की तिथियां तय थीं और देरी से बड़ा नुकसान हो रहा था। निर्माता ने धर्मेंद्र से कहा कि उनकी जयललिता से पहचान है, इसलिए वे मुख्यमंत्री से मदद दिलाएं। धर्मेंद्र ने हंसते हुए बताया था कि जब उन्होंने जयललिता को फोन किया, तो उनके निजी सचिव ने संदेश दिया—“मैडम बिज़ी हैं, आ नहीं पाएंगी।”

और फिर उन्होंने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा—“जिसे मैं गोद में उठा-उठाकर नाचा था, उसी ने ‘इज्जत’ के हीरो की बेइज्जती कर दी!”

कमरा ज़ोरदार ठहाकों से गूंज उठा। धर्मेंद्र अपने दौर के सबसे आकर्षक और रोमांटिक हीरो माने जाते थे। कई अभिनेत्रियों के साथ उनके ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन रिश्ते चर्चाओं में रहे। जब हेमा मालिनी को लेकर सवाल पूछा गया तो फिल्म ‘सत्यकाम’ के नायक धर्मेंद्र ने बिना किसी झिझक के कहा ऐसी कई हेमा मालिनियां मेरी ज़िंदगी में आईं और चली गईं।

“बेटी पर सवाल?” – और फिर वह क्षण…चर्चा के दौरान एक पत्रकार ने पूछा कि आप अपनी बेटी ईशा देओल को फिल्मों में आने से क्यों रोक रहे हैं?

बस इतना सुनते ही धर्मेंद्र थोड़े गंभीर हो गए। उन्होंने मज़ाकिया अंदाज में उस पत्रकार की गर्दन पकड़ ली। उनकी बड़ी हथेली में वह गर्दन पूरी तरह समा गई। एक पल को पूरा माहौल सन्न रह गया।

अचानक धर्मेंद्र ने जोर का ठहाका लगाया और माहौल हल्का करते हुए बोले कि “अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था! प्लीज, बेटी पर सवाल मत पूछिए।” फिर क्या था कमरे में फिर से हंसी गूंज उठी।

Created On :   25 Nov 2025 3:10 AM IST

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