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Nagpur News: कार्यप्रणाली पर उठे सवाल, सीएमई के नाम पर एमसीआईएम की शुल्क में मनमानी

- 50 प्वाइंट के लिए करना होगा 30 हजार रुपए का भुगतान
- नीमा का विरोध, सरकार दखल ले अन्यथा करेंगे आंदोलन
- एमसीआईएम की कार्यप्रणाली में अनियमितता होने का आरोप
Nagpur News राज्य सरकार के अधीन कार्यरत महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (एमसीआईएम) के खिलाफ नीमा (नेशनल इंटिग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन) नागपुर आयुर्वेद शाखा ने मोर्चा खाेल दिया है। एमसीआईएम की कार्यप्रणाली में अनियमितता होने का आरोप लगाया गया है। पंजीकरण व नवीनीकरण शुल्क में भारी वृद्धि, सीएमई प्वाइंट्स के नाम पर डॉक्टरों से वसूली जा रही राशि, वर्षों से प्रबंधक पद पर स्थायी नियुक्ति न होना आदि विषयों को लेकर नीमा में रोष है। बुधवार को आयोजित पत्रपरिषद में नीमा के पदाधिकारियों ने एमसीआईएम की अनेक खामियां गिनाई हैं।
राज्य में 1 लाख पंजीकृत चिकित्सक : चिकित्सकों के सतत वैद्यकीय शिक्षण (सीएमई) के हर प्वाइंट के लिए 1100 रु. की वसूली शुरू की थी। इसका विरोध किया गया था। इसके बाद 3 जून 2025 को एक पत्र जारी कर यह राशि घटाकर 600 रुपए प्रति प्वाइंट कर दी गई। चूंकि हर चिकित्सक को 5 वर्ष में 50 प्वाइंट पूरे करने होते हैं, इस हिसाब से प्रत्येक डॉक्टर को 30 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। राज्यभर के 1 लाख डॉक्टरों से 300 करोड़ रुपए भुगतान लिया जाएगा।
बोगस डॉक्टरों के नाम पर राशि जमा : पत्रपरिषद में बताया गया कि 2015 से 2019 के बीच जिन चिकित्सा स्नातकों का पंजीकरण व नवीनीकरण होना था, उनके लिए परिषद ने एक विशेष सूचना जारी की थी। सूचना में उन्हें 2019 तक मान्यता देने की बात कही गई थी। इसके बाद 2018 में शासन द्वारा एक अधिसूचना जारी कर पंजीकरण शुल्क को 500 से बढ़ाकर 5000 रुपए कर दिया गया। उसी समय नवीनीकरण शुल्क 50 से बढ़ाकर 2000 कर दिया गया। सरकार से यह कहकर अनुमति मांगी कि बोगस डॉक्टरों की पहचान कर कार्रवाई करनी है। इस प्रक्रिया के दौरान भी आयुर्वेद चिकित्सकों से करोड़ों रुपए जमा करने का अारोप नीमा ने लगाया है।
स्थायी प्रबंधक नहीं होने से समस्या पत्रपरिषद में बताया गया कि यहां 2010 से प्रबंधक की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। एमसीआईएम की स्थापना 1982 में की गई थी। दो दशक से अधिक समय से यहां शासकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्राध्यापक को प्रभारी प्रबंधक के रूप में कार्यभार सौंपा गया है। सरकार इस पद पर नियुक्ति को लेकर गंभीर नहीं है। नीमा ने एमसीआईएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। इसकी कार्यप्रणाली की निष्पक्ष जांच करने की मांग की गई है। इसके लिए स्वतंत्र समिति का गठन करने और स्थायी प्रबंधक की मांग शामिल है। सरकार इस मामले की दखल नहीं लेगी, तो आंदोलन की चेतावनी दी गई है। पत्रपरिषद में नीमा के पदाधिकारी डॉ. रवींद्र बोथरा, डॉ. नितीन कान्होलकर, डॉ. पंकज भोयर, डॉ. मोहन येंडे, डॉ. राहुल राऊत, डॉ. शांतिदास लुंगे, डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल, डॉ. शरद ठाकुर, डॉ. पंकज थुल, डॉ. प्रवीण डांगोरे, डॉ. वैभव ठवकर आदि उपस्थित थे।
Created On :   12 Jun 2025 1:01 PM IST