Nagpur News: मनपा चुनाव को लेकर गतिविधियां, छोटे दलों की बढ़ेगी परेशानी

मनपा चुनाव को लेकर गतिविधियां, छोटे दलों की बढ़ेगी परेशानी
  • प्रभाग पुनर्गठन को लेकर बढ़ सकती हैं शिकायतें
  • इसे राजनीतिक क्षेत्र में मिनी विधानसभा चुनाव भी कहा जाता है
  • छोटे दल व निर्दलीय उम्मीदवारों का चुनाव में प्रदर्शन कम ही रहा

Nagpur News मनपा चुनाव में 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति कायम रहने से छोटे दलों व संगठनों के उम्मीदवारों के लिए परेशानी बढ़ सकती है। प्रभाग पुनर्गठन में कुछ प्रभागों के निर्धारण में सत्ता पक्ष का हित देखा जा सकता है। इस संभावना के साथ ही शिकायतें बढ़ सकती हैं। इससे पहले देखा गया है कि सत्ता पक्ष की सहूलियत के हिसाब से प्रभाग व वार्ड तय होते रहे हैं। 2017 में 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति से चुनाव हुआ था। 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार ने 2 सदस्यीय प्रभाग पद्धति से चुनाव कराने का निर्णय लिया था। हालांकि सरकार बदलने के साथ ही प्रभाग पद्धति का निर्णय बदल गया। महायुति सरकार ने 4 सदस्यीय प्रभाग पद्धति से चुनाव कराने का निर्णय लिया। 4 सदस्यीय प्रभाग में मतदाताओं की संख्या अधिक रहती है। 25 हजार से 40 हजार तक मतदाताओं के मतदान से नगरसेवक की जीत-हार तय होती है। लिहाजा इस प्रभाग पद्धति को राजनीतिक क्षेत्र में मिनी विधानसभा चुनाव भी कहा जाता है।

पिछले चुनावों में प्रदर्शन : पिछले चुनावों के परिणाम देखें, तो छोटे दल व निर्दलीय उम्मीदवारों का चुनाव में प्रदर्शन कम ही रहा है। 2012 के चुनाव में 10 निर्दलीय उम्मीवार जीते थे। 2017 में एक निर्दलीय महिला उम्मीदवार ही जीत पाई। मनपा में शिवसेना व राकांपा के उपमहापौर रहे हैं। दोनों दल के 6 से 10 तक नगरसेवक रहे हैं। 2017 के चुनाव में शिवसेना 1 व राकांपा का 1 उम्मीदवार जीत पाया। उत्तर नागपुर में बसपा के 10 उम्मीदवार जीते। अन्य क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। भाजपा ने 151 में से 108 सीटें जीतीं। उत्तर नागपुर की 15 सीटों पर पराजय को छोड़ दिया जाए, तो भाजपा 136 में से 108 सीटें जीती। कांग्रेस में समन्वय की कमी कायम रही। 2012 में कांग्रेस के 41 उम्मीदवार जीते थे। 2017 में 29 ही जीत पाए। इनमें भी कुछ नगरसेवकों की पहचान भाजपा की बी टीम के सहयोगियों की रही।

दावेदारों में स्पर्धा : इस बार चुनाव तैयारी को देखा जाए, तो भाजपा की स्थिति भी बहुत ठीक नहीं है। भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में इसका उल्लेख होते रहा है। एक सर्वे में भाजपा के 30 से 40 प्रतिशत नगरसेवकों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। उम्मीदवारी की दावेदारी की स्पर्धा में एक चुनौती है। कांग्रेस की रणनीति भी खुले तौर पर नहीं दिख रही है। बसपा ने 45 सीटों पर फोकस रखा है। रिपब्लिकन पार्टी के विविध गुटों की बैठकें चल रही हैं। राकांपा व शिवसेना के दोनों गुटों में चुनाव तैयारी को लेकर अभी रणनीतिक बैठक नहीं हुई है। राकांपा अजित गुट ने 40 सीटों का प्रस्ताव कांग्रेस के समक्ष रखने का निर्णय लिया है। कांग्रेस ने गठबंधन का अधिकार स्थानीय नेतृत्व को दिया है। राकांपा शरद गुट ने इस संबंध में सभी निर्णय लेने का अधिकार पूर्व मंत्री अनिल देशमुख को दिया है। शिवसेना उद्धव गुट व शिवसेना शिंदे गुट को मुंबई के वरिष्ठ नेताओं का निर्देश मिलने का इंतजार है।


Created On :   12 Jun 2025 12:36 PM IST

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