Nagpur News: महाराष्ट्र की तटीय कृषि पर चक्रवातों का बढ़ता प्रभाव ,नागपुर से वैज्ञानिकों का चेतावनी भरा शोध

महाराष्ट्र की तटीय कृषि पर चक्रवातों का बढ़ता प्रभाव ,नागपुर से वैज्ञानिकों का चेतावनी भरा शोध
  • रायगढ़, रत्नागिरी और विदर्भ क्षेत्र के कृषि ढांचे पर भारी प्रभाव
  • जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवातों की प्रकृति बदल रही

Nagpur News एक महत्वपूर्ण बहु-संस्थागत वैज्ञानिक अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका "ट्रॉपिकल साइक्लोन रिसर्च एंड रिव्यू' में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में यह सामने आया है कि वर्ष 2001 से 2021 के बीच अरब सागर से उठने वाले चक्रवातों की तीव्रता और उनका असर अब महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों तक सीमित न रहकर नागपुर जैसे भीतरी जिलों तक पहुंचने लगा है। ‘निसर्ग’ (2020) और ‘तौकते’ (2021) जैसे चक्रवातों ने रायगढ़, रत्नागिरी और विदर्भ क्षेत्र के कृषि ढांचे पर भारी प्रभाव डाला है। यह शोध नागपुर एयरोड्रम मौसम विज्ञान कार्यालय (एएमओ) के निदेशक डॉ. रिजवान अहमद, पुणे की जलवायु अनुसंधान सेवा (सीआरएस) की मौसम विज्ञानी शाहेनाज मुल्ला और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. एस. के. सिंह द्वारा किया गया। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर जलवायु विज्ञान और आपदा जोखिम न्यूनीकरण से जुड़े विशेषज्ञ समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है।

स्वास्थ्य और कृषि अर्थव्यवस्था पर असर

शाहेनाज मुल्ला ने कहा कि इस शोध में आईएनएसएटी-3डी/3डीआर सैटेलाइट डेटा, डॉपलर रडार और पूर्वानुमान मॉडलों के साथ एनडीवीआई और ईवीआई जैसे उपग्रह संकेतकों का विश्लेषण कर यह पाया गया कि चक्रवातों के बाद वनस्पति स्वास्थ्य

डॉ. रिजवान अहमद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवातों की प्रकृति बदल रही है और इनसे निपटने के लिए नमक की मात्रा को सहन करने की क्षमता वाली फसलें, पूर्व चेतावनी प्रणाली और बेहतर भूमि प्रबंधन नीति अपनाना अत्यावश्यक हो गया है। यह अध्ययन नीति निर्माण, कृषि बीमा और मौसम विभाग की भविष्यवाणियों की सटीकता बढ़ाने में भी उपयोगी साबित हो सकता है।

Created On :   29 May 2025 2:07 PM IST

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