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Nagpur News: मनुष्यबल के अभाव में निवासी डॉक्टरों पर काम का बढ़ा बोझ

- 48 घंटे की गाइडलाइन
- जमीनी स्तर पर अमल होना मुश्किल
Nagpur News नागपुर के सरकारी अस्पतालों में निवासी डॉक्टरों की ड्यूटी का कोई समय नहीं रहता। सूत्रों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में मनुष्यबल की कमी होने से निवासी डॉक्टरों को विविध जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हंै। इस कारण वे तनावग्रस्त होते हैं। उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है। पिछले कुछ सालों में डॉक्टरों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी हंैै। इसे देखते हुए राष्ट्रीय संगठन फैमा (एफएआईएमए) ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन शुरु की है। इसकी पहल फैमा के समन्वयक डॉ. सजल बंसल ने की है। उन्होंने बताया कि निवासी डॉक्टरों के काम के समय को निश्चित करना अच्छा है। पहले भी 48 घंटे की गाइडलाइन आ चुकी है। लेकिन जमीन स्तर पर अमल होना मुश्किल है। पर्याप्त संख्या में मनुष्यबल नहीं होगा, तब तक स्थिति में सुधार नहीं होगा।
व्यक्तिगत समस्या हो तो ही ड्रॉपआउट : डॉक्टर बनने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाना आसान नहीं होता। जब यहां प्रवेश मिल जाता है, तो बीच में ही कोई कोर्स छोड़कर यानि ड्रापआऊट कर नहीं जाता। इस मामले में नागपुर की स्थिति समाधानकारक बताई गई है। यहां ऐसे मामले न के बराबर है। किसी विद्यार्थी की व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्या हो तो ही वह जाता है। इसके लिए भी लाखों रुपए का भुगतान करना पड़ता है। निवासी डॉक्टरों पर काम का अत्याधिक बोझ है। बताया गया कि मनुष्यबल का अभाव होने के कारण उन्हें बहुत सी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है। ऐसे में वे तनावग्रस्त होने के बावजूद अपना काम करते हैं। जो जितना अधिक काम करता है, वह उतना ही अनुभवी होते चला जाता है। एक अच्छा डॉक्टर बनने के लिए मेहनत करना जरूरी है।
जितना अधिक काम, उतना अधिक अनुभव : देशभर में पिछले पांच सालों में 1250 से अधिक मेडिकल के यूजी व पीजी के विद्यार्थी कोर्स छोड़ चुके हैं। इसके पीछे अलग-अलग कारण थे। नागपुर में ड्रॉपआउट का प्रमाण जीरो है। यहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज में विद्यार्थियों का एडमिशन होने के बाद वे डॉक्टर बनकर ही निकलते हैं। मेडिकल के अधिष्ठाता डॉ. राज गजभिये ने बताया कि बीच में किसी ने कोर्स छोड़ा तो उन्हें लाखों रुपए भरने पड़ते हैं। कभी-कभार ऐसा होता भी है तो इसके पीछे विद्यार्थी के व्यक्तिगत या पारिवारिक कारण होते हैं। हालांकि मनुष्यबल का अभाव होने से विद्यार्थियों पर काम का बोझ होता है, लेकिन जितना अधिक काम करते हैं, उतना अधिक अनुभव आता है।
Created On :   2 Sept 2025 2:33 PM IST