Nagpur News: नागपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति को राष्ट्रीय नामांकित बाजार बनाने को मंजूरी

नागपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति को राष्ट्रीय नामांकित बाजार बनाने को मंजूरी
  • किसानों को मिलेगा डिजिटल प्लेटफार्म
  • विधायक खोपड़े, देशमुख व दटके ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा

Nagpur News मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में नागपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति को राष्ट्रीय नामांकित बाजार बनाने को मंजूरी दी गई। ‘ई-नाम’ योजना पर अमल के लिए महाराष्ट्र कृषि उत्पन्न पणन (विकास व विनियमन) अधिनियम, 1963 में सुधार करने को मंजूरी दी गई। इससे अधिक पारदर्शी आैर डिजिटल पद्धति से काम हो सकेगा। विधायक कृष्णा खोपड़े, आशीष देशमुख व प्रवीण दटके ने ध्यानाकर्षण के तहत यह मुद्दा मानसून सत्र में उठाया था।

क्या है ‘ई-नाम’ योजना : ई-नाम यानी इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार) केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। यह डिजिटल ऑनलाइन ट्रेंडिंग प्लेटफॉर्म है। देश की विभिन्न कृषि उत्पन्न बाजार समितियां (एपीएमसी) एक ही ऑनलाइन नेटवर्क से जुड़ी रहेंगी। किसान, व्यापारी आैर खरीदार एक ही डिजिटल मंच पर व्यवहार कर सकेंगे। शेती उपज की ऑनलाइन नीलामी प्रणाली है। बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। अब वर्तमान समिति शीघ्र ही खत्म हो जाएगी। समिति में भ्रष्टाचार की जांच एसआईटी जारी रखेगी।

ये प्रमुख फायदे होंगे : राष्ट्रीय पहुंच : यह किसानों को केवल अपनी स्थानीय मंडी तक सीमित न रखकर, देश भर की मंडियों और खरीदारों से जोड़ेगा। इससे उन्हें जहां फसल के लिए व्यापक बाजार मिलेगा, वहीं सर्वोत्तम मूल्य में मिल सकेगा।

पारदर्शी बोली प्रक्रिया : ऑनलाइन ट्रेडिंग के माध्यम से, बोली प्रक्रिया पारदर्शी हो जाती है। किसान अपनी उपज की वास्तविक मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतें देख सकेंगे। बिचौलियों की मनमानी और शोषण पर अंकुश लगेगा।

गुणवत्ता-आधारित मूल्य निर्धारण : ई-नाम गुणवत्ता आकलन प्रणाली को बढ़ावा देता है। उपज की गुणवत्ता के आधार पर मूल्य निर्धारित होता है, जिससे किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली उपज के लिए बेहतर रिटर्न मिलेगा।

ऑनलाइन व्यापार : किसान अपनी उपज को ऑनलाइन बेच सकेंगे। इससे उन्हें भौतिक रूप से मंडी जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी और समय व लागत की बचत होगी।

डिजिटल भुगतान : भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में ऑनलाइन होने से लेन-देन में पारदर्शिता आएगी और भुगतान में देरी या धोखाधड़ी का खतरा कम होगा। बेहतर भंडारण और परिवहन सुविधाओं को बढ़ावा मिलने से कृषि उपज की बर्बादी कम होगी।


Created On :   30 July 2025 11:15 AM IST

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