Nagpur News: नागपुर में घट रहे एचआईवी के मरीज, 3 साल पहले पड़ितों की संख्या 1050 से अधिक थी , अब 750

नागपुर में घट रहे एचआईवी के मरीज,  3 साल पहले  पड़ितों की संख्या 1050 से अधिक थी , अब 750
  • तीन साल में रोगियों की संख्या में 300 की कमी
  • प्रतिदिन 800 संदिग्धों की जांच की जाती है

Nagpur News केंद्र सरकार ने 2030 तक एचआईवी (एड्स) को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। नागपुर जिला इस दिशा में सफलता की ओर कदम बढ़ा चुका है। 3 साल पहले यहां एचआईवी पीड़ितों की संख्या 1050 से अधिक थी। अब यह संख्या 300 कम होकर 750 पर आ चुकी है। जांच, उपचार, समुपदेशन, इंडेक्स टेस्टिंग के बाद परिणाम सामने आया है। लोगों में एचआईवी के प्रति जागरूकता दिखाई दे रही है।

मोबाइल वैन से मिली राहत : 1998 में नैको (नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन) द्वारा एचआईवी रोकथाम के लिए देशभर में केंद्र शुरू किए गए थे। नागपुर जिले में 22 आईटीटीसी केंद्र शुरू हुए थे। इनमें से शहर में 7 व ग्रामीण में 15 केंद्र थे। इनमें से दो केंद्र कुही व भिवापुर के बंद हो चुके हैं। इन केंद्रों के स्थान पर एक केंद्र एम्स में शुरू किया गया है। दूसरा चलता-फिरता मोबाइल वैन में केंद्र शुरू किया गया है। इन केंद्रों के माध्यम से संदिग्धों की जांच, उपचार व समुपदेशन किया जाता है। केंद्रों के लिए जिले में लगभग 120 कर्मचारी सेवारत थे। उनकी संख्या अब 110 बताई गई है । सभी केंद्रों में मिलाकर हर रोज औसत 800 से अधिक संदिग्धों की जांच की जाती है।

सालभर में मिले 750 पॉजिटिव : सूत्रों के अनुसार पांच साल पहले 2020 में औसत 1200 मरीज सालाना पॉजिटिव पाए गए। 2022 में यह संख्या औसत 1050 तक पहुंची। 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर 750 पर आ चुकी है। आने वाले समय में यह संख्या और कम होने की संभावना है। इस कार्यक्रम अंतर्गत इंडेक्स टेस्टिंग व मोबाइल वैन केंद्र का सर्वाधिक लाभ मिल रहा है। इंडेक्स टेस्टिंग में एचआईवी पॉजिटिव मरीज जिन-जिन लोगों के संपर्क में आया है, उन सभी की जांच की जा रही है। इस जांच से एचआईवी पॉजिटिव की संदिग्धता की चेन पर रोक लग रही है। जिलेभर के अलग-अलग स्थानों पर जाकर मोबाइल वैन के माध्यम से जांच करवाई जा रही है। शिविरों के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

कर्मचारियों को सुविधा नहीं : नैको द्वारा शुरू में जिन कर्मचारियों की भर्ती की गई थी, उनकी आयु 20 से 25 साल थी, तबसे यह कर्मचारी सेवा दे रहे हैं। इनके काम की वजह से ही एचआईवी पॉजिटिव की संख्या में कमी आई है। स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत लंबे समय से अस्थायी तौर पर सेवा देने वाले कर्मचारियों की सेवा अवधि को देखते हुए उनका सरकारी सेवा में समायोजन का निर्णय लिया गया है, लेकिन इस पर अमल नहीं होेने पर कर्मचारियों में निराशा का माहौल है। उन्हें सरकारी सेवा नियमों के अनुसार कोई सुविधा नहीं मिल रही है।


Created On :   7 Jun 2025 5:23 PM IST

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