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Nagpur News: शिक्षा पर बढ़ रहा बोझ, निजी स्कूलों में प्रति विद्यार्थी सालाना खर्च 25 हजार रुपए

- पाठ्यक्रम शुल्क सबसे बड़ा व्यय हुआ साबित
- सरकारी स्कूलाें में 2,863 रुपए खर्च, लेकिन गुणवत्ता की कमी
Nagpur News स्कूली शिक्षा का खर्च बोझ बनता जा रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ताजा रिपोर्ट चिंताजनक है। इसके अनुसार सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र सालाना खर्च 2,863 रुपये है। निजी स्कूलों में यह 25,002 रुपये तक है। यह अंतर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में भी साफ दिखता है। सरकारी स्कूलों में खर्च भले ही कम हो, शिक्षा की गुणवत्ता में कमी पाई जाती है। इसके कारण अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सर्वेक्षण में सामने आया सच : राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 80वें दौर में सीएमएस एजुकेशन सर्वेक्षण आयोजित किया गया। यह स्कूली शिक्षा में वर्तमान में नामांकित छात्रों के घरेलू खर्च पर केंद्रित था। यह पूरे भारत से 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार पाठ्यक्रम शुल्क सबसे बड़ा खर्च साबित हुआ है। यह औसतन 7,111 रुपये प्रति छात्र है। शहरी क्षेत्रों में यह 15,143 रुपये और ग्रामीण में 3,979 रुपये है। किताब और स्टेशनरी पर 2,002 रुपये खर्च होते हैं। शहरी परिवारों को परिवहन और वर्दी जैसे अतिरिक्त खर्च भी उठाने पड़ते हैं। इसलिए उनका बोझ और बढ़ जाता है।
एक तिहाई छात्र कोचिंग में : रिपोर्ट के अनुसार, चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान लगभग एक तिहाई छात्र (27.0 प्रतिशत) निजी कोचिंग ले रहे थे या ले चुके थे। यह प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों (25.5 प्रतिशत) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (30.7 प्रतिशत) में अधिक थी।
शहरी क्षेत्रों में खर्च दोगुना : ग्रामीणों की तुलना में शहरी परिवार कोचिंग पर ज्यादा खर्च करते हैं। शहरी क्षेत्रों में प्रति छात्र निजी कोचिंग पर औसत वार्षिक खर्च 3,988 रुपये है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,793 रुपये है। शिक्षा के स्तर के साथ यह अंतर बढ़ता जाता है। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर शहरी क्षेत्रों में खर्च 9,950 रुपये पहुंचता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह खर्च 4,548 रुपये है। राष्ट्रीय स्तर पर, पूर्व-प्राथमिक स्तर पर 525 रुपये से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 6,384 रुपये तक खर्च होता है।
Created On :   5 Sept 2025 12:09 PM IST