Nagpur News: मतदाता सूची में हेराफेरी का जरिया बना एसआईआर, बिहार के नतीजे ग्राउंड रियलिटी से अलग

मतदाता सूची में हेराफेरी का जरिया बना एसआईआर, बिहार के नतीजे ग्राउंड रियलिटी से अलग
  • महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव को भी प्रभावित करने का प्रयास
  • कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे से बातचीत

Nagpur News. रघुनाथसिंह लोधी. बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम को दुर्भाग्यपूर्ण ठहराते हुए कांग्रेस के महासचिव अविनाश पांडे ने कहा है कि सरकार और चुनाव आयोग का गठजोड़ लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। उन्होंने कहा- एसआईआर अर्थात मतदाता सूची पुनरीक्षण, मतदाता सूची में हेराफेरी का जरिया बन गया है। बिहार का चुनाव परिणाम ग्राउंड रियलिटी से अलग है। महाराष्ट्र में भाजपा नेताओं ने मतदाता सूची को लेकर उठाये सवालों को लेकर पांडे ने कहा कि यह भी स्थानीय निकाय चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास हाे सकता है। साफ दिख रहा है कि मतदाता सूची में सुधार के नाम पर हेराफेरी करायी जा रही है। बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रभारी व प्रमुख रणनीतिकार रहे पांडे ने गुरुवार को दैनिक भास्कर से विशेष चर्चा की। उन्होंने आगे कहा- वोट चोरी से सचेत रहने को लेकर कांग्रेस ने बिहार में अभियान चलाया।

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने यात्रा के माध्यम से जनसंवाद किया। सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। वोट चोरी रोकने की उपाययोजना करने के बजाय चुनाव आयोग ने बिहार में चुनाव से पहले एसआईआर कराया। बिहार में एसआईआर का औचित्य ही नहीं था। लोकसभा चुनाव उसी मतदाता सूची के आधार पर कराया गया था। अगर सूची में बड़बड़ी थी तो उसमें सही समय पर सुधार करना था। दावा किया गया कि एसआईआर के माध्यम से प्रवासी मतदाताओं को चिन्हित किया जाएगा। चुनाव आयोग ने 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से अलग कर दिए। लेकिन यह साफ नहीं किया कि वे मतदाता घुसपैठिए थे या कोई और। सवाल तो यह भी है कि केंद्र व बिहार में लंबे समय से सत्ता में रहने के बावजूद मतदाता सूची में गड़बड़ी को क्यों और कैसे बर्दाश्त किया गया। महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल सहित जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव नहीं है वहां एसआईआर क्यों नहीं कराए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा के कई नेता मतदाता सूची में गड़बड़ी और सुधार की बातें करने लगे हैं। इस संबंध में पांडे ने कहा कि यह भी भाजपा और सरकार की कोई छिपी हुई रणनीति हो सकती है। मतदाता सूची में सुधार के नाम पर चुनाव आयोग कई मतदाताओं को मतदान से वंचित करा सकता है। इससे स्थानीय निकाय संस्था का चुनाव प्रभावित होगा।

जन-सरोकार के मुद्दे दरकिनार

पांडे ने कहा-बिहार चुनाव में जन-सरोकार के मुद्दे दरकिनार रह गए। सरकार के खुले प्रलोभन को चुनाव आयोग अनदेखा कर गया। 80 प्रतिशत अर्थ व्यवस्था कृषि आधारित है। 2014 में कृषि उपज को दोगुना समर्थन मूल्य देने का वादा यथावत है। 3.28 करोड नागरिक रोजी रोटी के लिए पलायन कर रहे हैं। गंगा की बाढ़ ओर बाढ़ प्रबंधन में करोड़ों के भ्रष्टाचार का मुद्दा भी प्रभावी नहीं रहा। प्रलोभन व चुनाव आयोग की हेराफेरी से बनी सरकार 5 वर्ष में बिहार को किस स्थिति में पहुंचाएगी, सोचकर ही मन में गहरी वेदना होती है। हालांकि निराश होने की स्थिति नहीं है। बदलाव प्रकृति का नियम है। वोट चोरी को लेकर कांग्रेस ने हस्ताक्षर अभियान चलाया है। जल्द ही दिल्ली में बड़ी सभा होगी। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को वोट चोरी के संबंध में 5 करोड से अधिक हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपा जाएगा।

Created On :   20 Nov 2025 8:10 PM IST

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