Nagpur News: दूर होगा एससी वर्ग का अंतिम संस्कार का संघर्ष, सरकार ने गठित की अध्ययन समिति

दूर होगा एससी वर्ग का अंतिम संस्कार का संघर्ष, सरकार ने गठित की अध्ययन समिति
  • स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावा ग्रामीण क्षेत्र की संस्थाओं की ली जा रही सहायता
  • अंतिम संस्कार का संघर्ष होगा दूर
  • सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम
  • एसटी वर्ग को भी न्याय की दरकार

Nagpur News. राज्य में एससी अर्थात अनुसूचित वर्ग के नागरिकों को अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष करना पड़ता रहा है। कई स्थानों पर विवाद की स्थिति बनती रही है। ऐसे में इस समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ठोस उपाययोजना करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने राज्य में ग्रामीण क्षेत्र के स्मशान घाटों की स्थिति जानने के लिए अध्ययन समिति गठित की है। 15 सदस्यीय समिति में नागपुर से अशासकीय सदस्य मनीष मेश्राम का समावेश किया गया है। ग्राम विकास व पंचायत राज मंत्री जयकुमार गोरे की अध्यक्षता में समिति में विधायक अभिमन्यू पवार, देवेंद्र कोठे, अमित गोरखे व जिप, पंस स्तर के अधिकारियों का समावेश है। समिति गठन के लिए राज्य के 6 राजस्व विभाग में 6 बैठकें की गई। जानकारी के अनुसार बीड़ जिले में सरपंच रही मालन साबले के शव को अंतिम संस्कार से रोकने का मामला राज्य सरकार के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना है। 13 मई 2024 को बीड जिले में पालवन में मालन साबले के शव को श्मसान घाट में अंतिम संस्कार से रोका गया था। उसके बाद राज्य भर में कई स्थानों पर ऐसी ही स्थिति होने की जानकारी सामने आयी थी। 31 जुलाई 2025 को ग्राम विकास मंत्री की अध्यक्षता में बैठक में इस विषय पर व्यापक चर्चा हुई।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में ग्रामीण क्षेत्र में 67 प्रतिशत श्मसान घाट की समस्या है। सार्वजनिक घाट में अनुसूचित वर्ग के परिवार के शवों को अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जाता है। कुछ गांवों में इस वर्ग के लिए अलग से घाट बनाए गए हैं तो वहां जमीन अतिक्रमण की समस्या है। राज्य में अनुसूचित वर्ग में 59 जातियां हैं, इनमें एक जाति की संख्या सर्वाधिक है। समिति गठन के संबंध में जारी परिपत्रक में साफ उल्लेख है कि जिन गांवोें में सार्वजिनक श्मसान घाट नहीं है वहां अनुसूचित वर्ग को अंतिम संस्कार के लिए सबसे अधिक संघर्ष करना पड़ रहा है। कई बाद विवाद होता है। ग्राम पंचायत के सामने अंतिम संस्कार की घटनाएं हुई है। यह भी पाया गया है कि कई गांवों में जाति अनुसार अनेक श्मसान भूमि है। श्मसान भूमि में आवश्यक सुविधाएं नहीं है। लेकिन इसके लिए सरकार की काफी जमीन फंसी हुई है। समिति को विविध विषयों के साथ अध्ययन रिपोर्ट जल्द तैयार करने को कहा गया है।

सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम

मनीष मेश्राम, सदस्य, श्मसान घाट अध्ययन समिति महाराष्ट्र के मुताबिक अंतिम संस्कार के लिए भी परिवार या समाज को संघर्ष करना पड़े, यह सबसे बड़ी शाेकांतिका है। राज्य सरकार ने सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। श्मसान घाट की स्थिति का अध्ययन कर सरकार ठोस उपाययोजना करेगी। सामाजिक न्याय के मामले में महाराष्ट्र देश के लिए दिशादर्शक बना रहेगा। समिति में नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री, पालकमंत्री सहित सभी वरिष्ठजनों का आभार मानता हूं।

एसटी वर्ग को भी न्याय की दरकार

धर्मपाल मेश्राम, उपाध्यक्ष, एससी-एसटी आयोग महाराष्ट्र के मुताबिक एसटी अर्थात अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को भी अंतिम संस्कार के मामले में संघर्ष करना पड़ रहा है। राज्य एससी, एसटी आयोग के पास काफी शिकायतें पहुंची है। घुमंतू वर्ग में फासे पारधी समाज के लिए अंतिम संस्कार के लिए घाट की व्यवस्था नहीं है। जहां रहते है, उसी परिसर में अंतिम संस्कार करने का प्रयास किया जाता है। कई बार इस समाज को गांव के सामूहिक विरोध का सामना करना पड़ता है। मैंने सरकार को इस संबंध में आयोग की आेर से आवश्यक सिफारिश की है।


Created On :   25 Oct 2025 8:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story