Nagpur News: अब एक क्लिक पर होगी पेड़ों की पहचान, छात्रों का अनोखा डिजिटल बॉटनी प्रोजेक्ट

अब एक क्लिक पर होगी पेड़ों की पहचान, छात्रों का अनोखा डिजिटल बॉटनी प्रोजेक्ट
  • इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में अनोखा डिजिटल बॉटनी प्रोजेक्ट बनाया
  • पेड़ों की होगी ऑनलाइन पहचान
  • छात्रों की वो टीम जो बनी प्रेरणा
  • डिजिटल एजुकेशन की दिशा में अभिनव पहल

Nagpur News. रितु वासनिक | इन्स्टिट्यूट ऑफ साइंस, नागपुर के छात्रों ने पारंपरिक बॉटनी शिक्षा को आधुनिक टेक्नोलॉजी से जोड़ते हुए एक अनूठा और सराहनीय उपक्रम शुरू किया है। इस उपक्रम में एमएससी बॉटनी के विद्यार्थियों ने मिलकर पूरे इंस्टिट्यूट परिसर में मौजूद पेड़-पौधों के स्पेसिस पर क्यूआर कोड लगा दिए हैं। इस कोड को स्कैन करते ही उस पेड़ की वैज्ञानिक जानकारी, स्थानीय नाम सहित सारी जानकारी मोबाइल पर क्लिक करते ही मिल जाती है। यह जानकारी विद्यार्थियों को काफी मददगार साबित हो रही है।

विचार प्रोजेक्ट में तब्दील

इस अभिनव परियोजना की शुरुआत शैक्षणिक सत्र 2024-25 में की गई थी, जब कुछ जिज्ञासु विद्यार्थियों ने पेड़ों की जानकारी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का विचार प्रस्तुत किया। शिक्षिका प्रा. कीर्तिमाला गोपाल और प्रा. सीमा केलकर के मार्गदर्शन में यह विचार एक ठोस प्रोजेक्ट में तब्दील हो गया।

रुचि बढ़ाना ही मकसद

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों को जानकारी उपलब्ध कराना ही नहीं था, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और बॉटनी में रुचि बढ़ाना भी था। क्यूआर कोड को स्कैन करते ही विद्यार्थी पेड़ की प्रजाति, पत्तों की बनावट, फूल-फलने का समय, अनुकूल जलवायु, पर्यावरणीय उपयोग और वैज्ञानिक महत्त्व, औषधीय गुणवत्ता से परिचित हो जाते हैं। डिजिटल इनोवेशन विद्यार्थियों ने इसे "डिजिटलाइजेशन : द डेलिकेट टेक्नोलॉजी वएप्रोच टू बॉटनी' नाम दिया है। यह दर्शाता है कि किस प्रकार विज्ञान और प्रकृति को तकनीक की मदद से विद्यार्थियों के लिए अधिक सुलभ और संवादात्मक बनाया जा सकता है।

100 से अधिक प्रजातियों की डिजिटल जानकारी : इस उपक्रम के अंतर्गत अब तक इंस्टिट्यूट परिसर के 100 से भी अधिक पेड़-पौधों की प्रजातियों को डिजिटल रूप से टैग कर दिया गया है। अब केवल इंस्टिट्यूट के छात्र ही नहीं, बल्कि अन्य महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र भी इस जानकारी का लाभ लेने के लिए यहां आ रहे हैं।

"द टॉकिंग ट्री" – जब पेड़ खुद बोलेंगे अपनी कहानी

अब इस प्रोजेक्ट को अगले स्तर पर ले जाते हुए भविष्य में छात्र और शिक्षक मिलकर एक मोबाइल एप्लीकेशन विकसित करने की दिशा में कार्य करना चाहते हैं। इस ऐप को “द टॉकिंग ट्री” नाम दिया जाएगा। ऐप की विशेषता यह होगी कि जब यूज़र किसी पेड़ के पास जाकर क्यूआर कोड स्कैन करेगा, तो वह पेड़ मानो खुद अपनी कहानी बोलेगा।

समझ व रुचि में वृद्धि

प्रा. सीमा कुरलकर के मुताबिक पेड़ों को पहचानने की प्रक्रिया अब एक क्लिक पर आ गई है। इससे छात्रों की रुचि और समझ दोनों में वृद्धि हो रही है।

अगला लक्ष्य 'टॉकिंग ट्री

प्रा. कीर्तिमाला गोपाल के मुताबिक अब हमारा अगला लक्ष्य है 'टॉकिंग ट्री' एप को सार्वजनिक करना, जिससे इस जानकारी का लाभ देशभर के छात्र उठा सकें।


Created On :   2 Aug 2025 8:12 PM IST

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