पेंच व्याघ्र प्रकल्प पर शिकारियों की नजर

पेंच व्याघ्र प्रकल्प पर शिकारियों की नजर
  • सुरक्षा पुख्ता नहीं
  • कब कहां हुए शिकार
  • ढाई साल में 5 शिकार के मामले सामने आए

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिले के पेंच व्याघ्र प्रकल्प में शिकारियों की मौजूदगी मानी जा रही है। गत ढाई साल में यहां होने वाले लगातार शिकार के मामले गवाही दे रहे हैं, जिसमें इंडियन पॉर्कुपाइन से लेकर बाघ तक का मामला है। ऐसे में वन विभाग अलर्ट मोड पर रहने वाला है, ताकि किसी भी वन्यजीव का शिकार करने में शिकारियों को सफलता न मिल सके।

सुरक्षा पुख्ता नहीं : 700 वर्ग किमी में फैला नागपुर जिले का पेंच व्याघ्र प्रकल्प न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में यहां सैलानियों की उपस्थिति रहती है। क्षेत्र की बात करें, तो यहां सालेघाट, पवनी, चोरबाहुली, नागलवाड़ी, पवनी, ईस्ट पेंच आदि क्षेत्र आता है। जहां शाकाहारी वन्यजीवों से लेकर बाघ, तेंदुआ आदि रहते हैं। वन विभाग की ओर से इनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण यहां शिकारियों की मौजूदगी रहती है। अक्सर यहां शिकार के मामले भी उजागर होते रहे हैं। हाल ही में यहां एक वाइल्ड डॉग व पॉर्कुपाइन के शिकार का मामला सामने आया है। इसके अलावा वर्ष 2017 से अब तक बड़ी संख्या में अवैध शिकार का मामला सामने आ चुका है।

कब कहां हुए शिकार : 17 फरवरी 2022 को पेंगोलिन के शिकार का मामला हुआ था। इसके बाद पवनी में एक बाघ के शिकार की घटना सामने आई। 12 जनवरी 2023 में सालई में यह घटना दर्ज की गई। इसके दूसरे महीने बाद ही पवनी क्षेत्र में ही 13 फरवरी 2023 को जंगली कुत्ते का शिकार किया गया था। इसी महीने इसी क्षेत्र परिसर में इंडियन पॉर्कुपाइन का शिकार किया गया था।

Created On :   23 July 2023 6:18 PM IST

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