नागपुर: जिप के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयरन कैल्शियम गोलियों की किल्लत

जिप के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयरन कैल्शियम गोलियों की किल्लत
  • स्टॉक खत्म होने पर अब जाकर दिए स्थानीय स्तर से खरीदने के निर्देश
  • दो महीने से गोलियां नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला परिषद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों के स्वास्थ्य की रीढ़ माना जाता है। दवाइयों का अभाव तथा डॉक्टरों के रिक्त पदों के चलते स्वास्थ्य के आधार केंद्र स्वयं निराधार हो गए हैं। गर्भवती तथा स्तनदा माताओं के लिए आवश्यक आयरन तथा कैल्शियम गोलियों की किल्लत ने ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा की पोल खोल दी है।

दो महीने से गोलियां नहीं

गर्भवती को 180 दिन आयरन तथा कैल्शियम की गोलियां दी जाती हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को इन दवाइयों की सप्लाई सरकार से की जाती है। गत छह महीने से गोलियों की खेप नहीं मिली है। जिला स्तर पर उपलब्ध कराई गईं दवाइयां चार महीने तक चलीं। दो महीने से गर्भवती को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से आयरन तथा कैल्शियम की गोलियां नहीं मिलने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। अब जाकर स्थानीय स्तर पर गोलियाें की खरीदी करने की जिला परिषद स्तर से सूचना दी गई है।

स्पेशलिस्ट डॉक्टर का अभाव : जिला परिषद के 53 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। एक भी केंद्र में स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। उपचार के लिए जाने वाले मरीज पर प्राथमिक उपचार किया जाता है। गंभीर मरीज को नागपुर मेडिकल अथवा मेयो अस्पताल रेफर किया जाता है। पहली प्रसूति भी नहीं की जाती। पहली बार सामान्य प्रसूति होने पर दूसरी बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूति की जाती है। किसी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सीजर की सुविधा नहीं है।

अनेक पद रिक्त हैं: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के अनेक पद रिक्त हैं। उन्हें सहायता करने वाले परिचारिका, बहुउद्देशीय स्वास्थ्य सेवकों के भी पद रिक्त हैं। सिपाही के पद रिक्त रहने से स्वच्छता नहीं होती। जहां सिपाही कार्यरत हैं, वहां ओपीडी में सेवा देकर निकल जाने से अनेक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वच्छता नहीं हो रही है।

अतिरिक्त कार्य से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित

मरीजों का उपचार के अलावा सरकार की विविध योजनाओं के कार्यों का अतिरिक्त बोझ पड़ने से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है। फिलहाल मिशन इंद्रधनुश अभियान चल रहा है। गोल्डर कार्ड, घर-घर टीवी मरीज खोज मुहिम, कुष्ठराेगी खोज अभियान, 18 से अधिक उम्र के लड़कियों की स्वास्थ्य जांच, आयुष्यमान भव योजना अंतर्गत स्वास्थ्य परीक्षण, सभी अभियान का ऑनलाइन डाटा अपलोड करने की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।

रोगी शुल्क माफी से बढ़े मरीज: राज्य सरकार ने 15 अगस्त से रोगी शुल्क माफ करने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुना हो गई है। पूरी तरह मुफ्त में इलाज मिलने से सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार आने पर हर कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने लगा है।

Created On :   20 Oct 2023 5:20 PM IST

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