अध्यात्म महोत्सव : मूल स्वभाव की ओर लौटना ही अध्यात्म

अध्यात्म महोत्सव : मूल स्वभाव की ओर लौटना ही अध्यात्म
  • अध्यात्म महोत्सव
  • कया है अध्यात्म

डिजिटल डेस्क, नागपुर. भाषा, साहित्य, कला, विज्ञान आदि सभी क्षेत्रों में जीवन मूल्यों के प्रति चैतन्य है नागपुर नगर। अध्यात्म, अस्तित्व या अपने मूल स्वभाव की यात्रा है। अपने उत्स तक जाना, जहां से हमारी सत्ता है वहां तक पहुंचना। यह अन्श्चेतना की यात्रा है। स्वात्मोत्थान की ओर ले जाने वाला मार्ग। यह उद्गार जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने प्रभु प्रेमी संघ नागपुर शाखा द्वारा कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित "अध्यात्म महोत्सव’ में व्यक्त किए। गुरुदेव ने कहा कि ऋषि कणाद ने कहा "इहलोक परलोक की सिद्धि के लिए धर्म है। मैं कौन हूं, मेरा कर्तव्य क्या है? यह ज्ञात न हो तो उत्कर्ष कैसे होगा। कोऽहं? शंकराचार्य कहते हैं-चिदानंद रूपः शिवोऽहं, शिवोऽहं! देह में परिवर्तन है। देह साधन है। मन प्रकृति की तरह बदलता रहता है।आत्म तत्व ही शाश्वत है। सनातन है। हम देह के दास बने बैठे हैं। आत्मविस्मृति,अज्ञान की उपज है। अज्ञान का नाश करने वाली सत्ता गुरु है। धृति अर्थात् धैर्य धर्म का पहला लक्षण है। भारत की सभ्यता सबसे प्राचीन स्वामीजी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के खतरों के प्रति सचेत किया। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि हम इतने अशान्त, व्यग्र एवं पदार्थप्रिय हो गए हैं कि आत्मप्रचार के लिए कुछ भी दांव पर लगाने हेतु तैयार हैं। वैचारिक शुचिता नहीं है। इमेज मेकर पैसा लेकर इमेज बनाते हैं। उन्होंने इजराइल की धर्म संसद के हवाले से कहा कि भारत की सभ्यता सबसे प्राचीन है। सर्वप्रथम प्रतिशत, शून्य एवं दशमलव का ज्ञान विश्व को हमने दिया। कुरुक्षेत्र में आज भी 5000 वर्ष पुराना पेड़ है जहां गीता सुनाई गई थी।

सभी का दर्शन करुणा पर आधारित : हम सबसे पहले मन पर काम करें। भौतिक सुंदरता या आकर्षणों पर पूरा ध्यान केन्द्रित न करें। कोरोना काल में राहत देनेवाले स्टे होम, कीप फिट, बी पाॅजिटिव जैसे सूत्रवाक्य विश्व को दिए। पाजिटिविटी से आशय है यथार्थवादी बनें हम। बदलते परिवेश में उन्होंने प्रसंगवश समुद्र मंथन और देव दानव युद्ध का भी उल्लेख किया। बुद्ध नानक महावीर सभी का दर्शन करुणा पर आधारित है। जीवन आनंद अर्जित करने के लिए है। सत्य का ज्ञान अर्जित करने के बाद ही विराट सत्ता का साक्षात् एवं अपनी पूर्णता का बोध होता है। ज्ञान कहीं भी मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। भक्तिमति मीरा, चमड़ा कूटनेवाले रैदास के पास बैठ गई। यह दृष्टान्त वरणीय है। यूएन की गाइडलाइन के अनुसार मेंटल हेल्थ को लेकर विश्व में भारी चिंता है। इसका निवारण विचारों की श्रेष्ठता में निहित है। हम आध्यात्मिक बनें। नैसर्गिक जीवन जियें। आरंभ में दीप प्रज्ज्वलन के बाद एड. विवेक ठाकुर, डाॅ. वेदप्रकाश मिश्रा, श्री पवार, दत्तात्रेय काशीकर, श्री अग्रवाल, पूर्व सांसद अजय संचेती, विधायक अभिजीत वंजारी, आशीष देशमुख ने गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रभु प्रेमी संघ की काटोल, तुमसर, चंद्रपुर शाखा के सभी अध्यक्षों ने गुरुदेव की वंदना की। प्रास्ताविक मनीषा काशीकर ने किया। सचिव बलजीत सिंह ने गुरुदेव के सम्मान में अपना निवेदन प्रभु प्रेमी संघ के आराधकों के सम्मुख रखा।

Created On :   10 July 2023 5:56 PM IST

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