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शपथपत्र के सहारे ले रहे अल्पसंख्यक सीट का लाभ

- पात्र विद्यार्थी प्रवेश पाने से हो रहे वंचित
- इंजीनियरिंग प्रवेश प्रक्रिया का मामला
डिजिटल डेस्क, नागपुर. महानगर समेत प्रदेश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में इस वक्त प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया जारी है। महाराष्ट्र राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल द्वारा आयोजित कैप राउंड के जरिए कॉलेजों में सीटें भरी जा रही हैं, लेकिन कैप राउंड में पेश किए जा रहे दस्तावेजों के सत्यापन में लापरवाही से पात्र विद्यार्थियों का हक भी मारा जा रहा है। हालिया मामला अल्पसंख्यक कोटे की सीट से जुड़ा है।
नहीं हो रही पड़ताल
हिंदी अल्पसंख्यक होने के प्रमाण के रूप में सीईटी सेल विद्यार्थियों से सिर्फ एक शपथपत्र लिखवा कर ले रहा है। विद्यार्थी वाकई "हिंदी अल्पसंख्यक' है भी या नहीं, इसकी पड़ताल नहीं की जा रही। महज इस शपथपत्र के आधार पर ही उन्हें "हिंदी अल्पसंख्यक' मान कर सीट आवंटित हो रही है।
कॉलेजोें की मजबूरी : नागपुर शहर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज समेत प्रदेश में कई ऐसे कॉलेज हैं, जहां इंजीनियरिंग में भी "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटा है, जिसमें हिंदी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को कुछ सहूलियतें हैं। इसमें कट ऑफ के कम अंक भी कम होते हैं और फीस में भी कुछ राहत मिलती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इन कॉलेजों में कैप राउंड के जरिए जो "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटे की सीटें आवंटित हुई हैं, उनमें अनेक गैर-हिंदी पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों का नाम है। अब कॉलेजों की मजबूरी है कि ये आवंटन सूची सीधे सीईटी सेल से आई हैं, तो उन्हें गैर हिंदी भाषी विद्यार्थियों को भी "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटे की सीटों पर प्रवेश देना पड़ रहा है। नतीजतन जो हिंदी पृष्ठभूमि के विद्यार्थी "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटे से इंजीनियरिंग प्रवेश के लिए पात्र हैं, उनका नंबर नहीं लग पा रहा है।
विद्यार्थी-कॉलेज दोनों हैरान : शहर के एक नामी कॉलेज में प्रवेश पाने वाली छात्रा ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि उसने कैप राउंड के जरिए इस कॉलेज में प्रवेश पाया। वह "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटे में प्रवेश पाना चाहती थी, लेकिन कॉलेज की "हिंदी अल्पसंख्यक' कोटे की जो सूची जारी हुई है, उसमें छात्रा का नाम नहीं है। छात्रा के अनुसार इस सूची में अनेक एेसे विद्यार्थियों के नाम हैं, जो हिंदी भाषी नहीं हैं। उनमें कई मराठी और अन्य प्रवर्ग के विद्यार्थी हैं, लेकिन कॉलेज से इस संबंध में पूछताछ करने पर उन्हें कोई राहत नहीं मिली, वहीं कॉलेज प्राचार्य ने भास्कर से बातचीत में बताया कि सीईटी सेल से जो विद्यार्थियों की सूची आती है, कॉलेजों को उसी सूची के आधार पर विद्यार्थियों को प्रवेश देना होता है। अब शपथपत्र सच्चा है या झूठा, इसकी पड़ताल सीईटी सेल से ही होनी चाहिए, क्योंकि इसमें कॉलेज की कोई भूमिका नहीं है। इस संबंध में सीईटी सेल की ओर से समाचार लिखे जाने तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
Created On :   31 July 2023 6:05 PM IST