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अपने पैसों से चॉक खरीद रहे शिक्षक
- जिप स्कूलों को मिलने वाला सादिल अनुदान बंद
- बिजली बिल पर समग्र शिक्षा अनुदान खर्च
- विद्यार्थी संख्या पर अनुदान
डिजिटल डेस्क, नागपुर. जिला परिषद स्कूलों में भौतिक सुविधाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे किए जा रहे हैं। दूसरी ओर स्कूलों को मिलने वाला सादिल अनुदान 5 साल पहले बंद कर दिया गया। समग्र शिक्षा अनुदान से मिलने वाली रकम स्कूल का बिजली बिल भरने के लिए कम पड़ रही है। निधि के अभाव में जिप स्कूलों में स्टेशनरी और चॉक खरीदी का बोझ शिक्षकों की जेब पर पड़ने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
5 वर्ष से बंद है : शिक्षकों के वेतन का 4% स्कूल में आवश्यक स्टेशनरी, चॉक तथा अन्य शैक्षणिक सामग्री खरीदी के लिए सादिल अनुदान दिया जाता है। इस अनुदान की रकम स्कूल में कार्यरत शिक्षकों की संख्या पर निर्धारित किया जाता है। गत 10 वर्ष से शिक्षकों के पदों का निर्धारण नहीं होने से 5 साल पहले सादिल अनुदान बंद कर दिया गया। जिला परिषद स्कूलों के पास आय के दूसरे स्रोत नहीं रहने से शैक्षणिक सामग्री पर शिक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है।
विद्यार्थी संख्या पर अनुदान
जिला परिषद स्कूलों को दूसरा समग्र शिक्षा अनुदान मिलता है। विद्यार्थी संख्या के आधार पर अनुदान की रकम तय होती है। उसमें से 10 फीसदी रकम स्वच्छता कार्यों पर खर्च करने की शर्त अनिवार्य है। कम विद्यार्थी संख्या के स्कूलों को काफी कम अनुदान मिलता है। जो अनुदान मिलता है, वह स्कूल के बिजली बिल भुगतान पर ही खर्च हो जाता है।
जिस स्कूल की विद्यार्थी संख्या 30 या उससे कम है, उसे सालाना 5 हजार रुपए समग्र शिक्षा अनुदान मिलता है। इस रकम से सालभर का बिजली बिल भुगतान भी पूरा नहीं होता। अन्य कोई अनुदान नहीं मिलने से कम विद्यार्थी संख्या के स्कूलों पर बिजली कनेक्शन कट होने की नौबत आ रही है।
जिला परिषद का डिजिटल स्कूलों पर फोकस है। करोड़ों रुपए की डिजिटल सामग्री स्कूलों को वितरित की गई। बिजली के अभाव में डिजिटल सामग्री का उपयोग नहीं हो रहा है। बिजली बिल के झंझट से राहत दिलाने के लिए स्कूलों में सोलर सिस्टम लगाने की पहल की गई है। मेडा को सोलर सिस्टम लगाने की जिम्मेदारी दी गई है।
Created On :   17 July 2023 7:13 PM IST