खिलवाड़: बैन के बावजूद बिक जाता है नायलॉन मांजा : कानून नहीं बना रही सरकार

बैन के बावजूद बिक जाता है नायलॉन मांजा :  कानून नहीं बना रही सरकार
नियमों की धजिज्यां उड़ाकर बेच देते हैं नायलोन मांजा, जान से खिलवाड़

डिजिटल डेस्क, नागपुर । पशु, पक्षियों सहित इंसानों के लिए घातक बन चुके नायलॉन मांजा पर उच्च न्यायालय दो साल पहले प्रतिबंध लगा चुका है। इस पर नियम-कानून बनाने के लिए राज्य सरकार को कहा गया है, लेकिन दो साल में राज्य सरकार नायलॉन मांजे पर प्रतिबंध को लेकर जीआर तक नहीं निकाल पाई है। नायलॉन मांजा पर अब तक कोई कानून नहीं बनने से विक्रेता बेखौफ हैं। वे धड़ल्ले से नायलॉन मांजा पतंगबाजों तक पहुंचा रहे हैं। अगर नायलॉन मांजा पकड़ भी लिया जाता है, तो जुर्माना भरकर वे फिर से उसी धंधे में लग जाते हैं। नियम-कानून नहीं होने से वे फिर सक्रिय हो जाते हैं।

असफल है पुलिस

नायलॉन मांजा शहर की दुकानों पर नहीं मिलेगा। इसे नियोजनबद्ध तरीके से पतंगबाजों तक पहुंचाया जा रहा है। एक पूरी चेन इसके लिए काम करती है। इसमें विक्रेता सामने नहीं आते हैं। वे अपनी चेन के माध्यम से पतंगबाजों को आसानी से नायलॉन मांजा पहुंचाने में सफल हो रहे हैं। सामने नहीं आने से पुलिस भी इन तक पहुंचने में असफल हो रही है। इस चेन के कुछ वीडियो दैनिक भास्कर के हाथ लगे हैं। वीडियो में कोई व्यक्ति पतंगबाज युवक को नायलॉन मांजा उस तक पहुंचने का भरोसा दिला रहा है। वह यह नहीं बता रहा है कि मांजा कहां से मिलेगा, लेकिन उसे अगले दिन तक मिलने की गारन्टी दे रहा है। 200-250 रुपए में एक चक्री मिलने का दावा कर रहा है। जो 200-250 रुपए में इसे लेता है, वह दूसरे को 400 रुपए तक बेचता है। यह वीडियो प्रेमनगर, जरीपटका, मोमिनपुरा के बताया जा रहा है। यह चक्री मोनो काइट, कोबरा जैसे नामों से बिक रही है। इतना सब होने के बावजूद सरकार शांत है।

जुर्माना भरने के बाद छोड़ देते हैं

14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। यह त्योहार भले ही एक दिन रहता है, लेकिन दिवाली के बाद से शहर में पतंगबाजी का दौर शुरू हो जाता है। इसे देखते हुए विक्रेता दशहरा बाद से नायलॉन मांजे का स्टॉक करना शुरू कर देते हैं, क्योंिक शहर में मकर संक्रांति के दौरान पुलिस व मनपा द्वारा जब्ती की कार्रवाई की जाती है। अमूमन इसका खामियाजा जो अधिकृत मांजा विक्रेता हैं, उन्हें उठाना पड़ता है। नायलॉन मांजे के नाम पर इन दुकानों में तलाशी अभियान चलाया जाता है। किसी की दुकान में अगर मिल भी जाए, तो वह जुर्माना भरकर छूट जाता है। नियम नहीं होने से कार्रवाई होती नहीं है। असल गुनाहगार दूर ही रहते हैं। उनकी दुकानें नहीं होंती। वे चेन के जरिये अपना अवैध कारोबार चलाते रहते हैं। यह मामला हर साल चर्चा में आता है, लेकिन मकर संक्रांति खत्म होते ही प्रशासन शांत हो जाता है। जानकारों ने बताया कि जब तक इस मामले में कोई सख्त कानून नहीं बनता, नायलॉन मांजे का खेल इसी तरह चलता रहेगा।

Created On :   28 Dec 2023 6:47 AM GMT

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