कोराडी में प्रस्तावित पॉवर प्रोजेक्ट की जनसुनवाई गैरकानूनी

कोराडी में प्रस्तावित पॉवर प्रोजेक्ट की जनसुनवाई गैरकानूनी
लोगों को लालच देकर समर्थन में जमा की भीड़

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोराडी में प्रस्तावित पॉवर प्रोजेक्ट की जनसुवाई नियमों को ताक पर रखकर की गई। पॉवर प्रोजेक्ट से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे से अंजान लोगों को लालच दिखाकर समर्थन में खड़ा करने के लिए भीड़ इकट्ठा करने का आरोप पर्यावरणविदों ने पत्र परिषद में लगाया। सिविल लाइंस स्थित प्रेस क्लब में हुई पत्र परिषद की शुरुआत में परिसर की स्थिति पर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। उसमें लोगों ने मौजूदा पॉवर प्रोजेक्ट की राख से जल व वायु प्रदूषण के जनजीवन पर हो रहे प्रतिकूल परिणाम का चित्रण है। प्रत्यक्ष लोगों के साथ संवाद साधकर उनकी समस्या को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से उजागर किया गया है।

चर्चा पर्यावरण पर थी, रोजगार का मुद्दा हावी रहा

पत्रकारों से चर्चा में पर्यावरणविद् लीना बुद्धे ने बताया कि, जनसुनवाई में प्रत्यक्ष उलट चित्र देखने को मिला। जिन लोगों ने मौजूदा पाॅवर प्रोजेक्ट की राख से हो रही समस्या गिनवाई, वहीं लोग जनसुनवाई में प्रस्तावित प्रोजेक्ट के समर्थन में खड़े नजर आए। सुनवाई पर्यावरण के खतरे से संबंधित थी, जबकि चर्चा में रोजगार का मुद्दा हावी रहा। परिसर के लोगों को भ्रमित कर उन्हें रोजगार के मुद्दे पर उलझाया गया। प्रकल्प का समर्थन करने गांवों में गाड़ियां भेजकर लोगों को लाया गया। उनके भोजन की व्यवस्था की गई। यहां तक कुछ लोगों से चर्चा करने पर उन्हें मजदूरी देकर लान की बात कबूल की। दोपहर 12 बजे जनसुनवाई का समय निर्धारित था, लेकिन लोगों को सुबह 8 बजे से लाकर बैठाया गया। सामने वाली सीटों पर परिसर के सरपंच, उपसरपंच और ठेकेदारों ने पहले से कब्जा जमा रखा था। विरोध में बोलने पर आवाज दबाने के लिए हो-हल्ला मचाया गया।

सब पूर्वनियोजित था

संदेश सिंगलकर ने कहा कि, यह सब पूर्वनियोजित था। अपने स्वार्थ के लिए लोगों को गुमराह करने वालों के नापाक इरादों ने परदे के पीछे से यह खेल है। नियम के अनुसार मौजूदा प्रोजेक्ट के क्षेत्र में प्रस्तावित प्रोजेक्ट की जनसुनवाई नहीं ली जा सकती। सभी पंचायत यूनियनों को इसकी पूर्व सूचना देना अनिवार्य है। प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले हर व्यक्ति को इसकी विस्तृत जानकारी मिलनी चाहिए। लोगों की आंखों में धूल झोंककर हुई जनसुनवाई कानूनी की कसौटी पर अवैध है। उसे रद्द करने की पर्यावरणविद् सुधीर पालीवाल ने मांग की। साथ विरोध में न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।

Created On :   31 May 2023 1:19 PM IST

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