वेदांता-फॉक्सकॉन ने गुजरात में उद्योग लगाने से हाथ पीछे खींचे

वेदांता-फॉक्सकॉन ने गुजरात में उद्योग लगाने से हाथ पीछे खींचे
  • पुणे के पास प्रस्तावित था वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्रकल्प
  • गुजरात में उद्योग लगाने से हाथ पीछे खींचे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्रकल्प पुणे के पास प्रस्तावित था, लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक फायदे के लिए उसे गुजरात ले जाया गया। अब यह प्रकल्प वहां भी नहीं लग रहा है। वेदांता में पार्टनरशिप से फॉक्सकॉन के हाथ पीछे खींचने से यह प्रकल्प अटक गया है। महाराष्ट्र और देश का इससे बड़ा नुकसान हुआ है। यह जानकारी देते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के लिए तो फडणवीस राज्य के लिए हानिकारक हैं।

अतुल लोंढे ने कहा कि वेदांता फॉक्सकॉन जैसा महत्वपूर्ण प्रकल्प गुजरात चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र से भगाकर ले गए। लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश और 1 लाख नौकरियां देने वाला यह प्रकल्प था। वेदांता फॉक्सकॉन प्रकल्प के लिए पुणे परिसर का वातावरण अत्यंत अनुकूल है। पुणे औद्योगिक क्लस्टर है। विमानतल, बंदरगाह और सड़क परिवहन की दृष्टि से सुविधाजनक है। इस प्रकल्प के लिए आवश्यक कुशल मनुष्यबल और सुविधाएं परिसर में उपलब्ध है। वेदांता-फॉक्सकॉन प्रकल्प के लिए सुविधा और छूट देने संदर्भ में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, बावजूद इसके यह प्रकल्प गुजरात में ले जाया गया। गुजरात में प्रकल्प को दी गई जगह में यह प्रकल्प लगना असंभव है। अंतत: वही हुआ, जिसका अंदेशा था। यह प्रकल्प जाने से देश को लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। महाराष्ट्र में यह प्रकल्प देवेंद्र फडणवीस के हाथों से निकल गया। राज्य के लाखों युवाओं का रोजगार भी छीन गया।

कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि फॉक्सकॉन ने वेदांता के साथ अपना करार रद्द करने से अब मायक्रॉन सेमीकंडक्टर प्रकल्प के भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं। वायब्रंट गुजरात व मेक इन इंडिया के नाम से बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई। लेकिन प्रत्यक्ष में वहां कितने प्रकल्प आए, इस पर श्वेत-पत्रिका निकालने की जरूरत है। फॉक्सकॉन ने हाथ पीछे खींचने से अन्य कंपनियों के विदेशी निवेश पर भी इसका परिणाम होगा। महाराष्ट्र में इससे पहले वेदांता फॉक्सकॉन, टाटा एयरबस, बल्क केमिकल्स सहित अनेक उद्योग व संस्थाएं महाराष्ट्र के बाहर गई हैं, उसके लिए भाजपा और फडणवीस ही जिम्मेदार हैं। रूस-यूक्रेन का युद्ध तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोक सकते हैं, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि देश से बाहर जा रहे उद्योग वे रोक नहीं सकते। लोंढे ने कहा कि सरकार किसी की भी हो, उद्योग का जाना विकास की दृष्टि से ठीक नहीं है।

Created On :   12 July 2023 7:24 PM IST

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