Nagpur News: पर्दे में रहनेवाली महिलाओं को दिखायी शिक्षा की राह, अहिल्याबाई नाट्य ने किया भावविभोर

पर्दे में रहनेवाली महिलाओं को दिखायी शिक्षा की राह, अहिल्याबाई नाट्य ने किया भावविभोर
  • नाट्यकर्मी डॉ. दीपाली घोंगे की प्रस्तुति से लौट आया इतिहास
  • पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई’ नाट्यप्रयोग ने किया भावविभोर

Nagpur News. विदर्भ साहित्य संघ की ओर से पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती के उपलक्ष्य में उनके जीवन और कार्य पर आधारित एकपात्री नाट्यप्रयोग का आयोजन किया गया। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ. दीपाली घोंगे द्वारा प्रस्तुत इस नाट्यप्रयोग को दर्शकों से उत्स्फूर्त और भावपूर्ण प्रतिसाद प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विदर्भ साहित्य संघ के अध्यक्ष प्रदीप दाते ने की। मंच पर उनके साथ संघ के महासचिव विलास मानेकर, उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र डोळके, एवं ग्रंथालय प्रमुख डॉ. विवेक अलोणी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत शारदास्तवन और दीप प्रज्वलन से हुई।

ससुरजी ने तत्कालीन व्यवस्था से जोड़ा

डॉ. दीपाली घोंगे ने अहिल्याबाई के जीवन के विविध पक्षों को अत्यंत प्रभावी, भावनात्मक और गूढ़ अभिव्यक्ति के साथ मंच पर जीवंत किया। बचपन से लेकर राजकार्य तक के उनके जीवन, नीतिपूर्ण निर्णय, न्यायप्रियता, आध्यात्मिकता और राष्ट्रधर्म के प्रति समर्पण को बड़ी संजीदगी से दर्शाया गया। अहिल्याबाई, जो माणकोजी शिंदे की पुत्री थीं, वे मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव की पत्नी बनीं। एक ऐसे समय में जब स्त्रियों के लिए शिक्षा और राजनीतिक भूमिका दुर्लभ थी, तब उनके ससुर ने उन्हें धर्मशास्त्र, युद्धनीति और न्यायशास्त्र की शिक्षा दी। लेकिन एक युद्ध में पति की मृत्यु के बाद उनके जीवन में बड़ा संकट आया, जिससे उन्होंने संयम, बुद्धिमत्ता और परिपक्वता से पार पाया। डॉ. घोंगे ने अपने एकल अभिनय में अहिल्याबाई के जीवन के इस दौर को अत्यंत मार्मिकता से प्रस्तुत किया, जो दर्शकों को भीतर तक छू गया।

नाट्यप्रयोग मनोरंजन नहीं, समाजप्रबोधन का माध्यम

डॉ. घोंगे ने बताया कि यह नाट्यप्रयोग केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाजप्रबोधन का एक माध्यम है, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए। इसलिए वे इसे शालेय और महाविद्यालयीन स्तर पर भी प्रस्तुत करती हैं। नाटक का लेखन और निर्देशन उन्होंने स्वयं किया है। उनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को अंत तक बाँधे रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक अलोणी ने किया। नाट्यप्रयोग के समापन पर विदर्भ साहित्य संघ की ओर से प्रदीप दाते और विलास मानेकर ने डॉ. दीपाली घोंगे को स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित किया।

Created On :   15 Jun 2025 6:20 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story